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फिर कांटों में फेंक दिया फूल को…

डूंगरपुर . बिछीवाड़ा काली घाटी के समीप बुधवार को झाडियों में नवजात बच्ची लावारिस हालात में मिली। पुलिस ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया। बच्ची करीब एक माह की होना बताया जा रहा है तथा फिलहाल स्वस्थ है।

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फिर कांटों में फेंक दिया फूल को...

फिर कांटों में फेंक दिया फूल को...


फिर कांटों में फेंक दिया फूल को...
झाडिय़ों में मिली महीने भर की बच्ची
डूंगरपुर . बिछीवाड़ा काली घाटी के समीप बुधवार को झाडियों में नवजात बच्ची लावारिस हालात में मिली। पुलिस ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया। बच्ची करीब एक माह की होना बताया जा रहा है तथा फिलहाल स्वस्थ है।
बिछीवाड़ा काली घाटी रेलवे ट्रेक के समीप बुधवार को गायें चरा रहे चरवाहों ने बच्चे के रोने की आवाज सुनी। लोगों ने आसपास देखा तो झाडियों में कम्बल में लिपटी बच्ची नजर आई। इस पर बड़ी संख्या में ग्रामीण एकत्र हो गए। सूचना पर एएसआई छत्तरसिंह मय जाप्ता मौके पर पहुंचे। 108 एम्बुलेंस को सूचना दी, लेकिन काफी देर तक एम्बुलेंस नहीं आने पर पुलिस वाहन से बच्ची को जिला अस्पताल लाया गया। यहां मातृ एवं शिशु अस्पताल के एमबीएनसी यूनिट में भर्ती कराया। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।
बच्ची स्वस्थ है. . .
शिशु रोग विशेषज्ञ डा. कल्पेश जैन ने बताया कि बच्ची का जन्म करीब 25 से 30 दिन पूर्व हुआ लग रहा है। जब उसे अस्पताल लाए तब वह हल्की ठण्डी लग रही थी। एफबीएनसी यूनिट में भर्ती कर वॉर्मर में रखा है। प्रारंभिक परीक्षण में बच्ची स्वस्थ लग रही है। उसका वजन करीब ३ किलो ८०० ग्राम है।
असुरक्षित नहीं, पालने में छोड़े
डा. जैन ने बताया कि बच्चों को असुरक्षित छोडऩे से उनके जीवन को खतरा हो सकता है। इसलिए सरकार ने पालना गृहों की व्यवस्था की है। जिला अस्पताल परिसर में भी पालना लगा हुआ है। यहां बच्चों को छोडऩे पर किसी प्रकार की पूछताछ या पुलिस कार्रवाई नहीं की जाती है। मासूमों को झाडियों में छोडऩे के बजाए उन्हें पालने में सुरक्षित छोड़ें।