26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

श्रावण मास विशेष: एक शिवालय बारह ​शिवलिंग, आस्था अपार

सागवाड़ा. शहर में बांसवाड़ा मार्ग पर स्थित प्राचीन गमरेश्वर महादेव मंदिर के गर्भ गृह में स्थित स्वयं भू शिवलिंग के साथ ग्यारह अन्य शिवलिंग होने से यह श्रावण मास के साथ ही वर्ष भर शिव भक्तों की आस्था का केंद्र बना रहता है।

2 min read
Google source verification
श्रावण मास विशेष: एक शिवालय बारह ​शिवलिंग, आस्था अपार

श्रावण मास विशेष: एक शिवालय बारह शिवलिंग, आस्था अपार
सागवाड़ा (डूंगरपुर). शहर में बांसवाड़ा मार्ग पर स्थित प्राचीन गमरेश्वर महादेव मंदिर के गर्भ गृह में स्थित स्वयं भू शिवलिंग के साथ ग्यारह अन्य शिवलिंग होने से यह श्रावण मास के साथ ही वर्ष भर शिव भक्तों की आस्था का केंद्र बना रहता है। मंदिर के गर्भगृह में मुख्य शिवङ्क्षलग है। गर्भगृह के बाहर उत्तरी भाग में एक बड़ा शिवलिंग है वहीं सभा मंडप में बने छोटे शिवमन्दिर में जलधारी के साथ एक शिवलिंग स्थापित है। मुख्य मंदिर में प्रवेश मार्ग के दक्षिणी भाग में दो छोटी डेरियों में शिवलिंग स्थापित हैं वहीं साधु की धूणी के बाहर भी शिवलिंग है। मंदिर के बाहरी प्रवेश द्वार की सीढिय़ों के दक्षिणी भाग में आगे पीछे तीन डेरियों में तीन शिवलिंग स्थापित हैं। उत्तरी भाग में मंदिर की दीवार से सटकर एक छोटी डेरी में शिवलिंग है। इसी के सामने एक मध्यम आकार के मन्दिर में भी शिवलिंग स्थापित है।
खुली आबो-हवा में शिवलिंग
इसी मंदिर के उत्तरी भाग में खुले में जलधारी के साथ स्थापित शिवलिंग श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना रहता है तथा श्रद्धालु प्राकृतिक आबोहवा तथा वातावरण के साथ अभिषेक पूजन व भजन कीर्तन करते हैं। मन्दिर के सभी बारह शिवलिंग पर नियमित पूजा-अर्चना व अभिषेक होता है वहीं शिवभक्त भी पुष्पार्जन के साथ दर्शन करते हैं।
मंदिर में सभी सुविधाएं
गर्भगृह में ऐसी लगा हुआ है वहीं सभा मंडप में आरती में भीड़ के दौरान शुद्ध वातावरण के लिए उतरी व दक्षिणी भाग में दो बड़ी जालियों के पंखे लगे हुए हैं। मन्दिर के सामने ही गमरेश्वर तालाब है। प्राचीन समय इसकी तलहटी में कुएं के जल से ही भगवान का अभिषेक होता था, वर्तमान उक्त कुआं पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है। श्रावण मास के दौरान मंदिर में विप्रवरों व साधु-संतों की ओर से शिवोपासना व पार्थ पूजन का दौर नियमित चलता रहता है। शहर में नेमा समाज की ओर से जलझुलनी एकादशी तथा देव दिवाली पर सनातन धर्मावलम्बियों की रथयात्रा भी गमरेश्वर महादेव मंदिर पहुंचती है जहां मंदिर तथा रथ में विराजित प्रतिमा की गाजे-बाजे के साथ आरती उतारी जाती है।
मंदिर में मंदिरों की श्रृंखला
मंदिर के बांसवाड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित होने तथा परिसर में प्राचीन हनुमान मंदिर, दत्तात्रेय मन्दिर, माताजी मंदिर, नव प्रतिष्ठित सांई तथा शनि मंदिर होने से वर्ष पर्यन्त यहां श्रद्धालुओं की आवाजाही बनी रहती है। परिसर में यज्ञशाला, बेंचे, पीपल व बिल्व का पेड़, सत्संग हॉल, प्रदक्षिणा जगह तथा पूजा अर्चना के दौरान भोजन बनाने की सुविधा भी है। हर सोमवार व त्यौहारों पर विशेष आरती, शिवरात्रि पर भव्य शोभायात्रा निकलती है। शहर की मंदिर जीर्णोद्धार समिति तथा युवाओं के सहयोग से मंदिर के विकास का कार्य जारी है। श्रावण का अंतिम सोमवार होने से श्रद्धालुओं के लिए दर्शन व सायंकालीन आरती के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।