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जंजीरों में कैद बुढ़ापे का सहारा

वो खुद गीले में सोई, लेकिन अपने लाल को सूखे में सुलाया। एक पल भी अपनी आंखों से ओझल न होने दिया।

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Mukesh Kumar Sharma

Apr 27, 2016

dungarpur

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डूंगरपुर।वो खुद गीले में सोई, लेकिन अपने लाल को सूखे में सुलाया। एक पल भी अपनी आंखों से ओझल न होने दिया। खुद भूखी रही, लेकिन बेटे को कभी भूखा नहीं रखा। इस पर भी नियति की मार एेसी कि वही लाल मानसिक रूप से अस्वस्थ हो गया। इन्हीं विषम परिस्थितियों के बीच एक मां अब उसे जंजीरों में बांधकर रखने को मजबूर है। इस पर न सरकार की ओर से कोई मदद और न ही सिर ढकने को अदद छत।


यह पीड़ा सुरपुर ग्राम पंचायत निवासी 75 वर्षीय बेवा केसर कोटेड झेल रही है। उसके बुढ़ापे की लाठी बेटा दिलीप मानसिक रूप से बीमार है। थोड़ी-थोड़ी देर में दिमागी संतुलन बिगड़ जाता है। जो सामने आते हैं, उसे मारने दौड़ता है। एेसे में वह उसे जंजीर से बांधकर रखती है। केसर को कुछ महीनों पूर्व तक वृद्धावस्था और बेटे को निशक्तजन पेंशन मिल रही थी। अब दोनों पेंशन बंद होने से कभी मजदूरी तो कभी इधर-उधर से मिले भोजन से दिन गुजार रही है। पंचायत और जिला प्रशासन तक फरियाद करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

मां को किया लहूलुहान

दिमागी रूप से बीमार दिलीप ने एक बार मां का ही सिर लहूलुहान कर दिया। इसके बाद से मां कवेलूपोश मकान से दूर गिट्टी पर बिस्तर डालकर खुले आसमान तले रात गुजारती है। ग्रामीण बताते है कि दिलीप पहले निजी बसों में ड्राइवर और कंटेक्टरी करता था। अचानक तबीयत बिगडऩे के बाद बीमार हो गया है। इलाज में काफी पैसा खर्च हुआ, पर ठीक नहीं हुआ है। इसी चिंता में उसके पिता भी गुजर गए।

बिना दरवाजे का घर...

केसर का घर की माली-हालात ये है कि छत पर कहीं कवेलू बिछे हैं, तो कहीं प्लास्टिक के चिथड़ों से छांव का बंदोबस्त किया है। आंगन में चूल्हा है, पर कभी-कभार ही इसमें दो जून की रोटी पकती होगी।

हरसंभव करेंगे मदद

मैं स्वयं केसर के घर जाऊंगा और हरसंभव मदद करेंगे। यदि पेंशन बंद हुई है वह भी जल्द शुरू करवाने के प्रयास करेंगे। बीपीएल ऑनलाइन में नाम है। पीडि़तों को समस्त सरकारी योजनाओं से लाभान्वित किया जाएगा।हाकरचंद हड़ात, सचिव, ग्राम पंचायत


मिलन शर्मा