
रमेशभाई ओझा ने दिए प्रवचन
‘गिरिराज धरण प्रभु तुम्हारी शरण...’
फिजा में उड़ा कृष्ण भक्ति का रंग
सागवाड़ा. कॉलेज खेल मैदान में चल रही भागवत कथा के दौरान व्यास पीठ से रमेश भाई ओझा ने कहा कि परमात्मा प्रेम की भाषा समझता है और मिलता भी है। केवल पुरुषार्थ से ही नहीं मिलता है।
नित्य सत्कर्म ओर सत्संग से प्रभु की प्राप्ति होती है। इंसान को बिगडऩे से बचाने के लिए भागवत को सबसे बड़ी औषधि बताते हुए उन्होंने कहा कि सर्वकाल में जिसने यह औषधि ली वह भवसागर पार कर गया। संत का जीवन लोक कल्याण के लिए समर्पित रहता है तथा संतों के माध्यम से ही भगवान अपनी बात जनमानस तक पहुंचाते हैं।
गर्मी में कथा दे रही शीतलता
ओझा करीब ४६ से ४७ डिग्री तापमान के बीच कथा रसिकों से खचाखच भरे पाण्ड़ाल को देख अभिभूत हो उठे। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के मन में ही शांति है और वह उसे बाहर खोजता रहता है। सुखों की अनुभूति के लिए जीवन में भक्ति जरूरी है। आनन्द, सुख शांति की कामना परमात्मा की चाहत के समान है।
चाह गलत नहीं, राह गलत
ओझा ने बताया कि चाह गलत नहीं राह गलत है। जो कभी खोया ना जा सके वो परमात्मा है तथा जो कभी पाया ना जा सके वो संसार है। उन्होंने कर्मकाण्ड से जुड़े ब्राह्मणों से कर्मकाण्ड़ के प्रारंभ में यजमानों को पूरी विधि बताने का आह्वान किया।
कबीर पंथी व मावभक्तों ने बांधा समां
कथा के प्रारंभ में पूर्व मंत्री कनकमल कटारा के सान्निध्य में लीमड़ी के कबीर पंथी लक्ष्मण यादव व दल, सेमलिया घांटा के लालजी अहारी व दल, मावभक्त मण्ड़ली फलातेड़ व मालवाडा भीलूडा के नाथू कटारा, रमण, रावजी, भूरा, गटू व शंकर सहित महिलाओं की मण्ड़ली ने भजन प्रस्तुत किए। ओझा ने वागडी भजनों को सुना व सराहा।
कथा के दौरान गोवर्धन लीला का मनोहारी दृश्य रचाया गया। यजमान डायालाल पाटीदार सरोदा के सान्निध्य में ५६ भोग सजाये गए। भगवान को शुद्ध घी व दूध से बने पकवान, फल व सुखे मेवों का भोग धराया।
भक्तों को परोसा प्रसाद
ओझा ने कथा के बाद गायत्री मंदिर परिसर का भ्रमण कर विष्णु याग तथा गायत्री यज्ञ स्थल को देखा। उन्होंने परिसर में उपलब्ध सुविधाओं को श्रद्धालुओं के लिए उपयोगी बताया। ओझा बाद में परिसर में लगे भण्डारे में पहुंचे। स्वयं परोसगारी कर उनसे रुबरु हुए। कथास्थल पर गायत्री परिवार की ओर से लगी प्रदर्शनी का बडी संख्या में श्रद्धालुओं ने अवलोकन किया। गायत्री साहित्य, पूजन, हवन व पूजन वस्त्र की खरीदी के साथ परिसर में गायत्री मंदिर में दर्शन कर परिक्रमा की।
भजनों से छाई कृष्ण भक्ति की छटा
ओझा के ‘गिरिराज धरण प्रभु तुम्हारी शरण’, ‘वल्लभ विट्ठल गिरधारी यमुनाजी की बलिहारी’, ‘छुमछुम बाजे पायलिया’ ‘राम जपो राम जपो बावरे’, ‘जपले हरि का नाम मनवा’ तथा ‘पायोजी मैंने रामरतन धन पायो’ संगीतमयी भजनों पर कृष्णभक्त देर तक झुमते गरबा रास खेलते रहे।
आज रुक्मणी विवाह
गायत्री परिवार के भूपेन्द्र पण्ड्या कथा के दौरान सोमवार को रुक्मणी विवाह का मनोहारी प्रसंग तथा सुबह साढ़े पांच बजे से नौ बजे तक गायत्री यज्ञ होगा। कथा में राज्यमंत्री सुशील कटारा भी पहुंचे। कथा में बांसवाड़ा, उदयपुर , डूंगरपुर आदि क्षेत्रों से भी भक्त आ रहे हैं।
गायत्री यज्ञ में आहुतियां
रविवार को कथास्थल पर सुबह साढ़े पांच बजे से पुष्कर के देवता प्रसाद व दल के सान्निध्य में गायत्री यज्ञ प्रारंभ हुआ। कथा आयोजन सर्वसमाज के अध्यक्ष डायालाल पाटीदार ने दीप प्रज्ज्वलन किया। किशोर भटï्ट व परिवार ने देव पूजन, नारायण पण्ड्या ने सर्वतोभद्र मण्डल पूजा के साथ ही गायत्री मंत्र व महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया। प्रारंभ में मुख्य यजमान बंधु पाठक, पूर्व विधायक सुरेन्द्र बामणिया, पूर्व विधायक गढी रमेश पण्डï्या, पवन गोवाडिया, प्रभुलाल वाडेल, सुधीर वाडेल, मंगलेश वाडेल, मनोहर पंचाल, पूर्व उपजिला प्रमुख प्रेम पाटीदार, पूर्व प्रधान भास्कर बामणिया, नारायणलाल मनोत, मोहन कलाल, गोविन्दसिंह पारडा माताजी, हेमलता पंचाल, ध्यानीलाल कसारा, धनराज जैन चीतरी, रमेश सुथार टामटिया, केशवलाल पुरोहित, नारायण पण्ड्या व हरिओम पंचाल ने पोथी पूजन किया।
Published on:
28 May 2018 03:18 pm
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