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महाराणा प्रताप की स्मृति से जुड़ी छतरी का होगा जीर्णोद्धार

सोम नदी के तट पर जैताना में बना हुआ है कुंवर पद की स्मृति से जुड़ा स्मारक

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महाराणा प्रताप की स्मृति से जुड़ी छतरी का होगा जीर्णोद्धार

आसपुर । जैताना के समीप जग्गाजी की छतरी का फाईल फोटो।

आसपुर (डूंगरपुर). सोमनदी के तटबंध पर सोमपुल के समीप मेवाड़ के तोरणद्वार जैताना में अभी तक गुमनाम व उपेक्षित रही महाराणा प्रताप के कुंवर पद की स्मृति से जुड़ी जीर्णशीर्ण छतरी (स्मारक) के जीर्णोद्धार को लेकर कवायद शुरु हो गई है।
ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण संवर्धन को लेकर मेवाड़ में कार्यरत राज नोबल्स राजसमंद की ओर से हाल ही में इस छतरी के जीर्णोद्धार को लेकर मेवाड़ कॉम्प्लेक्स से जोडऩे की तैयारी चल रही है। इससे संपूर्ण मेवाड़ परगने में महाराणा प्रताप से जुड़े ऐतिहासिक स्मारक व छतरी आदि से जुड़े इतिहास को खंगाल कर इनके जीर्णोद्धार का काम करना प्रस्तावित है।
विक्रम संवत लगभग 1609 में जैताना के समीप हुई लड़ाई में महाराणा प्रताप विजयी हुए थे। उस समय महाराणा प्रताप कुंवर पद में होकर उम्र 14 वर्ष की थी। उस लड़ाई में सामंत जग्गाजी चूण्डावत काम आए थे। इससे प्रभावित होकर तत्कालिन महाराणा उदयङ्क्षसह मेवाड़ ने जग्गाजी की स्मृति में कुंवर प्रताप की देखरेख में विक्रम संवत् 1611 में यहां छतरी (स्मारक) का निर्माण करवाया ।जिसका उल्लेख यहां मौजूद शिलालेख में कियागया है।
अब चल रहे यह प्रयास
राज नोबल्स संस्था के संस्थापक सत्यपालङ्क्षसह चूण्डावत ने बताया कि इस ऐतिहासिक धरोहर की पूरी पड़ताल कर तथ्यों की जांच की गई जिसमें शिलालेख की इबारत प्रमाणिक मानी गई है। वहीं जग्गाजी के वंशज जगावत कहलाए। इन्हीं जगावतों नें जैताना में जग्गाजी की छतरी के जीर्णोद्धार का बिडा भी उठाया है जिसमें वर्तमान में आमेट के रावत प्रभुप्रकाशङ्क्षसह जगावत की मुख्य भूमिका व आर्थिक सहयोग मिल रहा है।
यह है योजना
इस छतरी के जीर्णोद्धार को लेकर जहां कवायद जारी है वहीं दो दिन पूर्व नवनिर्माण के लिए भूमि पूजन भी हो गया है। साथ ही यहां पर महाराणा प्रताप की आगामी जन्म जयंती मनाने की भी योजना है। इसको लेकर सत्यपाल ङ्क्षसह चूण्डावत के निर्देशन में जैताना में गांव के प्रबुद्ध जन की बैठक आयोजित हुई। जिसमें महाराणा प्रताप जयंती पर पंचकुंडीय गायत्री महायज्ञ के साथ छतरी के जीर्णोद्धार हेतु आधारशिला रखी जाएगी। बैठक में पूर्व उपसरपंच खेमराज कलाल, केसरीमल तेली,भोगजी पटेल,मणिलाल पटेल, जीतेंद्र, राजेश कलाल व मांगीलाल जैन, चंद्रवीरङ्क्षसह चूण्डावत छोटी वीरवा आदि उपस्थित थे।
खजाने के लालच में तोड़ दी थी छतरी
जैताना में 469 वर्ष तक तो यह छतरी सुरक्षित रही परंतु गत वर्ष सितम्बर माह में कतिपय अज्ञात लोगों नें जमीन में धन का खजाना गढ़ा होने के लालच में न केवल छतरी को खुर्द बुर्द कर दिया अपितु, शिलालेख भी उखाड़ कर एक तरफ डाल दिए वहीं आस पास की भूमि पर भी खुदाई कर दी।