
Woman died by electric shock, Hospital management did not give stretcher
कहने को तो जिस प्रकार ऊपर भगवान है उसी प्रकार धरती पर यह दर्जा डॉक्टरों को दिया गया है। लेकिन अब धरती के ये भगवान मानों इंसानियत को भूलने सा लगे हैं। चिकित्सा विभाग और इसके जिम्मेदार अभी तक तो अपनी जिम्मेदारियों से ही कतराते नजर आते थे। लेकिन अब तो एेसा लगने लगा है जैसे ये इंसानितय ही भूल चुके हैं।
हाल ही में देश के एक अस्पताल में अस्पताल कर्मचारियों के द्वारा एक महिला को जमीन पर खाना देने की खबर ने इंसानों और मानवता दोनों को झकझोर दिया थ। एेसी ही घटनाक्रम प्रदेश के डूंगरपुर जिले में भी घटा जहां अस्पताल प्रबंधन ने महिला के शव को स्ट्रेचर तक नहीं दिया। जिस कारण उसके परिजनों को शव को चादर में लपेटकर लाना पड़ा। प्रदेश के इन सरकारी अस्पतालों में प्रबंधन का पूरा जिम्मा एक चिकित्सक का ही होता है। पेशे चिकित्सक ही अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाडेंगे तो अन्य कैसा बर्ताव करेंगे। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है।
गौरतलब है कि रामसागड़ा थाना क्षेत्र के रेंटा गांव में करंट लगने से महिला की मौत हो गई।थानाधिकारी रूपलाल मीणा ने बताया कि रेटा गांव में रविवार शाम बारिश के दौरान विद्युत तार टूट कर विश्राम खराड़ी के खेत में गिर गया था। देर शाम को उसकी पत्नी बसंती खेतों पर बैल छोडऩे गई, वहां टूटे तार से करंट लग गया। चीख सुनकर उसकी बेटी सहित जेठानी जीवली सहित अन्य ग्रामीण मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों ने तारों को हटाया, लेकिन तब तक बसंती ने दम तोड़ दिया था। पति विश्राम अहमदाबाद में मजदूरी करता है। सोमवार सुबह खबर मिलने पर रामसागड़ा पुलिस मौके पर पहुंची तथा शव को जिला अस्पताल लाकर पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सुपुर्द किया।
स्ट्रेचर नहीं, चादर में ले गए शव
डूंगरपुर सामान्य अस्पताल परिसर में मुर्दाघर के समीप निर्माण कार्य चलने से इन दिनों मोर्चरी धोबी घाट के समीप स्थानांतरित कर दी हैं। वहां ढलान और कच्ची सड़क है। करंट से महिला की मौत पर शव लेकर पहुंचे परिजनों को वहां एक स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं हुआ। इस पर परिजन चादर में शव लेकर उसे तोककर मोर्चरी तक ले गए।
Published on:
27 Sept 2016 12:38 pm
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