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भारतमाला परियोजना, पाटन के 714 किसानों को 118 करोड़ मुआवजा बंटना शुरू, चार रिमाइंडर के बाद भी NH ने नहीं दिया पैसा

Bharatmala project in Durg: दुर्ग-रायपुर के बीच भारतमाला परियोजना के तहत प्रस्तावित सिक्सलेन सड़क के लिए जमीन देने वाले पाटन के किसानों को लंबे इंतजार के बाद ही सही मुआवजा भुगतान शुरू हो गया है।

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दुर्ग

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Dakshi Sahu

Sep 01, 2021

दुर्ग. दुर्ग-रायपुर के बीच भारतमाला परियोजना के तहत प्रस्तावित सिक्सलेन सड़क के लिए जमीन देने वाले पाटन के किसानों को लंबे इंतजार के बाद ही सही मुआवजा भुगतान शुरू हो गया है। नेशनल हाइवे ने यहां के 13 गांवों के 714 किसानों को भुगतान के लिए 118 करोड़ 80 लाख रुपए पहले ही उपलब्ध करा दिए हैं। यह राशि अब किसानों के खाते में डाली जा रही है। अब तक किसानों के खाते में 20 करोड़ से ज्यादा राशि ट्रांसफर की जा चुकी है। शेष राशि भी जल्द ट्रांसफर की तैयारी की जा रही है। इधर सड़क की जमीन की गणना में त्रुटि वाले किसानों का मुआवजा अब भी अधर में है। त्रुटि सुधार के बाद ऐसे किसानों के लिए 10.25 करोड़ की अतिरिक्त डिमांड भेजी गई है, लेकिन भू-अर्जन अधिकारी के चार रिमाइंडर के बाद नेशनल हाइवे ने यह राशि जमा नहीं कराया है।

92 किमी. का सिक्स लेन प्रस्तावित
बता दें कि केंद्र सरकार की भारत माला परियोजना के तहत दुर्ग के अंजोरा से रायपुर के आरंग के बीच 92 किमी सिक्स लेन एक्सप्रेस कॉरिडोर सड़क का निर्माण प्रस्तावित है। इसके लिए जिले के 26 गांवों के 1349 किसानों की जमीन के अधिग्रहण का प्रस्ताव है। इसमें पाटन ब्लॉक के पतोरा से लेकर सिपकोन्हा के खारून नदी तट तक 13 गांवों के 714 किसानों के करीब 150 हेक्टेयर जमीन भी शामिल है। पाटन में मुआवजा की गणना में गिनती के किसानों की सड़क की जमीन को छोड़कर कोई भी विवाद की स्थिति नहीं है। इसे देखते हुए नेशनल हाइवे से प्राप्त 118 करोड़ का वितरण शुरू कर दिया गया है। इसके लिए पहले जून में किसानों से दस्तावेज मंगा लिए गए थे। अब किसानों के खातों का सत्यापन कर राशि डाली जा रही है।

6 गांवों की सड़क की जमीन की गणना में गड़बड़ी
पाटन के किसानों को फिलहाल कृषि भूमि और उनकी परिसंपत्तियों का भुआवजा भुगतान किया जा रहा है। 6 गांवों में सड़क के किनारे की जमीन भी अधिग्रहित की गई है। इन्हें 10.25 करोड़ भुगतान का प्रस्ताव है। यह राशि अभी नेशनल हाइवे ने जमा नहीं कराया है। मूल्यांकन में त्रुटियों में सुधार के बाद नए प्रस्ताव के बाद नेशनल हाइवे भू-अर्जन अधिकारी द्वारा चार रिमाइंडर भेजा जा चुका है, लेकिन नेशनल हाइवे के अफसर ध्यान नहीं दे रहे थे।

करीब तीन साल से अटका था मुआवजा
नेशनल हाइवे की लेटलतीफी के कारण जमीन अधिग्रहण और मुआवजा का मामला करीब तीन साल से अधर में था। पहले जमीन के नापजोख और बाद में परिसंपत्तियों के मूल्यांकन में देरी की गई। इस बीच जिला प्रशासन ने प्रस्तावित इलाके में जमीन की खरीदी बिक्री पर रोक लगा दी थी। इसके बाद मुआवजा के दर निर्धारण, गणना और नेशनल हाइवे द्वारा भुगतान जारी नहीं करने के कारण मामला अटका था।

दुर्ग के 635 किसानों के भुगतान में अब भी रोड़़ा
सड़क के लिए दुर्ग ब्लॉक के 12 गांव के 635 किसानों की भी 113.31 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई है, लेकिन फिलहाल यहां भुगतान का मामला अटक गया है। यहां अफसरों ने हाईकोर्ट के दोगुना के आदेश के विपरीत केवल एक गुना के आधार पर गणना कर दी है। परिसंपत्तियों का मूल्यांकन भी छोड़ दिया है। इस आधार पर नेशनल हाइवे ने किसानों को भुगतान के लिए 100 करोड़ दे दिया है। लेकिन नाराज किसान हाईकोर्ट चले गए है। मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है।

हाईकोर्ट में आरंग की दूसरी सुनवाई, दुर्ग-राजनांदगांव का जल्द
मुआवजा की गणना से असंतुष्ट दुर्ग-राजनांदगांव के 72 किसानों के साथ कुल 83 लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। दुर्ग-राजनांदगांव की याचिकाओं पर 22 जुलाई और आरंग के किसानों के प्रकरण पर 26 जुलाई को पहली सुनवाई हो चुकी है। इसमें हाईकोर्ट संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। आरंग के किसानों के प्रकरण पर दूसरी सुनवाई 31 अगस्त को हुआ। वहीं इसके बाद दुर्ग व राजनांदगांव के किसानों की सुनवाई की संभावना है।

प्रभावित किसान व हाईकोर्ट के अधिवक्ता जेके वर्मा ने बताया कि भूमि अधिग्रहण के मुआवजा निर्धारण में अधिकारियों की गंभीर लापरवाही से किसान क्षुब्ध हैं। कई बार ध्यानाकर्षण के बावजूद समाधान न होने से क्षुब्ध किसानों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। इस तरह किसानों को अदालती कार्रवाई के लिए मजबूर किया गया। याचिका पर सुनवाई शुरू हो गई है। हाईकोर्ट में किसानों के वैध मुआवजा की अनदेखी करने वाले अधिकारियों की हर त्रुटि का पर्दाफाश किया जाएगा।