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भारतमाला परियोजना, एक ही गांव में कम रकबा वाले को ज्यादा और ज्यादा रकबा वाले को कम मुआवजा, HC की शरण में किसान

आहत किसानों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। किसानों की याचिका को हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार भी कर लिया है।

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दुर्ग

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Dakshi Sahu

Dec 19, 2021

भारतमाला परियोजना, एक ही गांव में कम रकबा वाले को ज्यादा और ज्यादा रकबा वाले को कम मुआवजा, HC की शरण में किसान

भारतमाला परियोजना, एक ही गांव में कम रकबा वाले को ज्यादा और ज्यादा रकबा वाले को कम मुआवजा, HC की शरण में किसान

दुर्ग. भारतमाला परियोजना के तहत जमीन अधिग्रहण के एवज में मुआवजे की गणना में एक और बड़ी विसंगति सामने आई है। इसके चलते एक ही गांव में एक ही जगह पर कम रकबा वाले किसान को ज्यादा मुआवजा और ज्यादा रकबा वाले किसान को कम मुआवजा की स्थिति बन गई है। किसानों की मानें तो वर्ग मीटर और हेक्टेयर के हिसाब से मूल्यांकन के नियम के कारण यह स्थिति बन रही है। इससे आहत किसानों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। किसानों की याचिका को हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए स्वीकार भी कर लिया है।

मामला पाटन ब्लाक के ग्राम देवादा के किसानों का है। किसान अमित कुमार वर्मा ने बताया कि उसके खसरा क्रमांक 426 के 1.50 हेक्टेयर जमीन में से 0.218 हेक्टेयर यानि 2118 वर्ग मीटर जमीन अधिग्रहित की गई है। उसे इसके एवज में 22 लाख 13 हजार 177 रुपए मुआवजा देना तय किया गया है। वहीं उन्हीं के गांव के किसान फिरतू राम के खसरा क्रमांक 432 के 0.410 हेक्टेयर जमीन में से केवल 0.039 हेक्टेयर यानि 390 वर्ग मीटर जमीन अधिग्रहित की गई है। इसके एवज में उक्त किसान को 24 लाख 62 हजार 384 रुपए मुआवजा दिया जाना प्रस्तावित किया गया है। इस तरह उक्त किसान को कम जमीन के बाद भी ज्यादा मुआवजा दिया जा रहा है।

इस प्रावधान ने बिगाड़ा गणित
किसान ने बताया कि शासन के अधिग्रहण के दोषपूर्ण प्रावधानों के कारण यह स्थिति बन रही है। शासन ने 0.050 हेक्टेयर यानि 500 मीटर से कम की जमीन का मुआवजा वर्ग मीटर के हिसाब से करने और इससे ज्यादा पर हेक्टेयर की दर से गणना का प्रावधान कर रखा है। उन्हें 21 लाख 92 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा दिया गया है, जबकि कम जमीन वाले किसान को 1502 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से मुआवजा दिया गया है।

वर्ग मीटर और हेक्टेयर में सात गुना नुकसान
किसान की माने तो मौजूदा प्रावधान के अनुसार वर्ग मीटर और हेक्टेयर में मुआवजे के निर्धारण के कारण उसे सात गुना से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ रहा है। कम रकबा देने वाले ने उससे सात गुना कम जमीन दिया है, जबकि उसका मुआवजा करीब ढाई लाख रुपए ज्यादा है। इस तरह सात गुना ज्यादा जमीन देने के बाद भी उसे कम मुआवजा से संतोष करना पड़ रहा है।

किसानों की यह है मांग
किसानों का कहना है कि वर्ग मीटर और हेक्टेयर में मुआवजे के निर्धारण से सैकड़ों किसानों को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसे ध्यान में रखकर प्रत्येक अधिग्रहण में पहले 500 मीटर तक वर्ग मीटर के लिहाज से गणना किया जाना चाहिए। इसके बाद के रकबे का मूल्यांकन हेक्टेयर के आधार पर किया जाए तो किसानों को नुकसान नहीं होगा। किसानों ने याचिका में यह मांग की है।

हाईकोर्ट ने स्वीकारी याचिका
देवादा के किसान के साथ दो अन्य किसानों ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। याचिका में किसानों ने वर्ग मीटर और हेक्टेयर से उपजी विसंगति के निराकरण की मांग की है। इसके समर्थन में सुनवाई हो चुके पूर्व प्रकरण का साइटिशन भी रखा है। जिस पर किसानों की याचिका को सुनवाई योग्य मानते हुए न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है।

138 किसान पहले ही न्यायालय
परियोजना के लिए जमीन के अधिग्रहण व मुआवजा की गणना में विसंगति को लेकर 138 किसानों ने पहले ही याचिका लगा रखी है। इनमें राजनांदगांव, दुर्ग व आरंग के किसान शामिल है। प्रभावित किसान व हाईकोर्ट के अधिवक्ता। जेके वर्मा ने बताया कि मुआवजे के निर्धारण में लगातार विसंगतियां सामने आ रही है। इससे स्पष्ट है कि जमीन अधिग्रहण और मुआवजे के निर्धारण के दौरान संबंधित अफसरों ने गंभीरता नहीं बरती है। इस कारण न्याय की उम्मीद में किसानों को न्यायालय के शरण में जाना पड़ रहा है। न्यायालय भी किसानों के मामले को गंभीरता से लिया है। इससे किसानों की उम्मीद बढ़ी है।