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भारतमाला की बाधा-कहीं खेतों में भरा लबालब पानी तो कहीं लगातार बारिश के बाद भी सूखे जैसे हालात

भारतमाला परियोजना की सड़क किसानों के लिए परेशानी का कारण बन गई है। दरअसल सड़क के निर्माण से समूचे क्षेत्र की सिंचाई की व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। इससे एक ओर जहां खेतों में जलभराव की स्थिति बन रही है तो दूसरी ओर सूखे जैसे हालात बन गए हैं।

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Bharatmala project सड़क के निर्माण से समूचे क्षेत्र की सिंचाई की व्यवस्था ध्वस्त

एक ओर जहां खेतों में जलभराव की स्थिति बन रही है तो दूसरी ओर सूखे जैसे हालात बन गए हैं

भारतमाला परियोजना की सड़क किसानों के लिए परेशानी का कारण बन गई है। दरअसल सड़क के निर्माण से समूचे क्षेत्र की सिंचाई की व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। इससे एक ओर जहां खेतों में जलभराव की स्थिति बन रही है तो दूसरी ओर सूखे जैसे हालात बन गए हैं।

केंद्र सरकार की भारतमाला परियोजना के तहत दुर्ग के अंजोरा से रायपुर के आरंग के बीच 93 किमी सिक्स लेन एक्सप्रेस कॉरिडोर सड़क का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए जिले के 26 गांवों के 1349 से ज्यादा किसानों की जमीन के अधिग्रहण किया गया है। किसानों की अधिग्रहित जमीन पर सड़क का निर्माण शुरू कर दिया गया है, लेकिन सड़क के लिए जमीन देने वाले किसानों की सुविधा और उनकी खेती को बचाने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। दरअसल सड़क का निर्माण ग्राउंड लेबल से कई फीट ऊपर किया जा रहा है। इसके लिए किसानों के खेतों की पारंपरिक सिंचाई व्यवस्था की छोटी नालियों को पाट दिया गया है। केवल बड़े नालों में ही सड़क के आर-पास पानी ले जाने के लिए पुलिया बनाया गया है। इससे सड़क के एक छोर के खेतों में बारिश के पानी का भराव हो रहा है। तो दूसरी ओर पानी नहीं पहुंचने की स्थिति बन रही है।

कई दिनों से भरा है खेतों में पानी

पाटन ब्लाक के ग्राम पंचायत सेलूद और पेंड्री के बीच खेतों में सड़क निर्माण से निकासी की व्यवस्था ध्वस्त हो जाने से खेतों में कई दिनों से पानी भरा है। सड़क पर बनाए गए पुल से पानी पूरी क्षमता से आगे नहीं बढ़ पा रही है। पहले पारंपरिक तरीके से सिंचाई के कारण सड़क के दूसरे छोर के खेतों से होकर पानी आसानी से निकल जाता है। स्थानीय निवासी बलराम वर्मा बताते हैं कि आसपास की खेती को ध्यान में रखे बिना निर्माण से यह स्थिति बन रही।

यहां बारिश के बाद भी सूखा

जलभराव वाले स्थल से बमुश्किल आधा किलोमीटर की दूरी में सेलूद के अपलैंड और पेंड्री के खेतों में स्थिति उलट है। यहां पारंपरिक सिंचाई सुविधा यानि एक खेत से दूसरे खेत तक पानी जाने की पुरानी पध््यति सड़क के कारण ब्लाक हो जाने से अपलैंड के खेतों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। इससे लगातार कई दिनों की बारिश के बाद भी खेतों में जलभराव नहीं हो पाया है। जबकि इस समय बियासी के लिए जलभराव बेहद जरूरी है।

इधर खेतों में डंप मटेरियल से परेशानी

सड़क निर्माण में लगी ठेका कंपनी की लापरवाही भी किसानों के लिए परेशानी का कारण बन रही है। ठेका कंपनी के लोगों ने कई जगहों पर सड़क के लिए चिन्हित एरिया से बाहर भी अनुपयोगी पत्थर व मिट्टी को डंप कर रखा है। इसके चलते कई किसानों खेतों में बोनी नहीं कर पाए हैं। कई किसानों का आरोप है कि ठेका कंपनी के लोगों ने कई जगहों पर पूर्व में किए गए मार्किंग से आगे भी मटेरियल डाल दिया है।

300 आपत्तियां अधिकारियों के पास

जमीन के मुआवजा के निर्धारण के साथ परिसंपत्तियों की कीमत व मूल्यांकन से संबंधित करीब 300 आपत्तियां भू-अर्जन अधिकारियों के पास लंबित है। कोर्ट जाने में सक्षम नहीं होने के कारण इन किसानों ने अधिकारियों के समक्ष आपत्तियां दर्ज कराई है। इन आपत्तियों का निराकरण अब तक नहीं हो पाया है। संबंधित अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, लेकिन जमीन का काम शुरू हो गया है।