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अब मोबाइल एप से मालूम कर सकेंगे ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं के मूल्य का अंतर

भिलाई. ब्रांडेड और जेनेरिक दवाइयों के मूल्यों में अंतर बताने नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइजिंग अथॉरिटी ने मोबाइल एप्प ‘समाधान’ बनाया है। इस एप से मरीज पर्ची में लिखी ब्रांडेड दवा का जेनेरिक मूल्य आसानी से देख सकते है। देश में लगभग सभी नामी दवा कंपनियां ब्रांडेड के साथ कम कीमत वाली जेनेरिक दवाएं बनाती है। बड़ा […]

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Ashish Gupta

Dec 28, 2015

mobile app

branded and generic drugs

भिलाई.
ब्रांडेड और जेनेरिक दवाइयों के मूल्यों में अंतर बताने नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइजिंग अथॉरिटी ने मोबाइल एप्प 'समाधान' बनाया है। इस एप से मरीज पर्ची में लिखी ब्रांडेड दवा का जेनेरिक मूल्य आसानी से देख सकते है।


देश में लगभग सभी नामी दवा कंपनियां ब्रांडेड के साथ कम कीमत वाली जेनेरिक दवाएं बनाती है। बड़ा मुनाफा कमाने के चक्कर में न तो कम्पनियां और न ही चिकित्सक आमजन को इसकी व्यापक जानकारी देते हैं।


ऐसे में लोग महंगी दवा खरीदने को मजबूर हो जाते हैं। ज्यादातर लोग जानकारी के अभाव ब्रांडेड दवाएं खरीदते हैं, जो जेनेरिक दवाइयों से लगभग नब्बे फीसदी महंगा होता है। ऐसे में लोग अब एप से बीमारी के अनुरूप जेनेरिक दवा का मूल्य देख पाएंगे।


मेडिकल स्टोर जाकर ब्रांडेड की जगह कम कीमत की जेनेरिक दवा खरीद पाएंगे। हैल्थकार्ट प्लस सॉफ्टवेयर की एप से पेटेेंटेड ब्रांडेड कंपनियों की जेनेरिक दवाइयां जान सकते हंै।


ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं की कीमत में नब्बे फीसदी तक का फर्क आता है। मेडिकल स्टोर संचालक हरिओम शर्मा ने बताया कि ब्रांडेड दवाई की 14 गोलियों का एक पत्ता 786 रूपए का है। यानि एक गोली की कीमत लगभग ५४ रूपए हुई।


जबकि इसी साल्ट की जेनेरिक दवा की 10 गोलियों का पत्ता सिर्फ 59 रूपए में ही यानी प्रति टेबलेट लगभग ६ रूपए में ही मिल जाता है। जेनेरिक और ब्रांडेड दवाइयों की कीमत में जमीन आसमान का फर्क होता है। लोग जेनेरिक दवाइयों को असरदार न मानकर उसकी खरीदी नहीं करते।


गंभीर रोगों की दवाइयों में ज्यादा अंतर

पेट से जुड़ी बीमारियों, किडनी, यूरीन, बर्न, दिल संबंधी रोग, न्यूरोलोजी, डायबिटीज जैसी बीमारियों की ब्रांडेड और जेनेरिक दवा की कीमत में कई बार 500 गुना तक का अंतर देखने को मिलता है। एक फार्मासिस्ट ने बताया कि उदाहरण के तौर पर मिर्गी रोग की एक कंपनी की दवा 75 रूपए में आती है।


जबकि उसी कंपनी की जेनेरिक दवा महज 5 रूपए में भी उपलब्ध है। इस तरह जेनेरिक और ब्रांडेड दवा का बाजार है। शासन इसलिए ब्रांडेड की जगह जेनेरिक दवाइयों को प्रमोट कर रही, ताकि गरीब तबके के लोगों को इसका लाभ मिल सके।

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