15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

CG News: महानदी-तांदुला लिंक परियोजना को मिली मंजूरी, अब सिंचाई के साथ उद्योगों को मिलेगा भरपूर पानी…

CG News: महानदी तांदुला लिंक परियोजना को शासन से मंजूरी मिलने के बाद अब टेंडर की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। जल संसाधन विभाग की इस परियोजना में 1074.58 करोड़ रुपए खर्च खर्च किए जाएंगे।

3 min read
Google source verification

दुर्ग

image

Love Sonkar

Aug 26, 2024

cg newsL durg news hindi news latest news

CG News: महानदी में व्यर्थ बह जाने वाले पानी को तांदुला जलाशय में पहुंचाया जाएगा। महानदी तांदुला लिंक परियोजना को शासन से मंजूरी मिलने के बाद अब टेंडर की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। जल संसाधन विभाग की इस परियोजना में 1074.58 करोड़ रुपए खर्च खर्च किए जाएंगे। इससे सिस्टम तैयार कर महानदी का एक लाख क्यूसेक तक पानी तांदुला में पहुंचाया जा सकेगा। इससे दुर्ग, बालोद और बेमेतरा जिले के लाभ होगा। पेयजल, निस्तारी, सिंचाई और उद्योग सबके लिए भरपूर पानी मिलेगा।

यह भी पढ़ें: Good News: किसानों के लिए अच्छी खबर, तांदुला-खरखरा समेत सभी जलाशय लबालब, सिंचाई के लिए मिलेगा भरपूर पानी…

परियोजना से होगा यह फायदा

दुर्ग, बेमेतरा व बालोद तीनों जिला तांदुला व खरखरा जलाशय पर आश्रित हैं। तांदुला में 10674 मिलियन घनफीट और खरखरा में 5000 मिलियन घनफीट भराव क्षमता है। दोनों जलाशय दबाव अधिक होने के कारण गर्मी में लगभग सूख जाते हैं। परियोजना से हर साल एक लाख क्यूसेक पानी मिलेगा। इससे तीनों जिले के 36 लाख आबादी को फायदा होगा।

तादुला के निर्माण के समय इसकी सिंचाई क्षमता 68 हजार 219 हेक्टेयर थी। नहरों की लाइनिंग कर इसे 1 लाख 3 हजार 705 हेक्टेयर किया गया था। लाइनिंग खराब होने व कम बारिश से पिछली बार 83 हजार 767 हेक्टेयर में सिंचाई हो पाई थी। इस तरह करीब 20 हजार हेक्टेयर कम सिंचाई हो रही है। महानदी से एक लाख क्यूसेक पानी मिलने से तांदुला के पूरी क्षमता से सिंचाई किया जा सकेगा।

दुर्ग, बालोद और बेमेतरा जिले को निस्तारी के लिए भी तांदुला जलाशय से पानी सप्लाई किया जाता है। तीन जिले के 923 तालाबों तक गर्मी में पानी पहुंचाया जाता है। पानी की कमी के कारण सामान्य तौर पर तालाबों को केवल एक बार ही पानी दिया जाता है। तांदुला में अतिरिक्त पानी होने से तालाबों में डिमांड के अनुरूप पानी दिया जा सकेगा।

तांदुला जलाशय से भिलाई इस्पात संयंत्र और एनएसपीसीएल को भी पानी उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा कई अन्य उद्योगों को भी यहीं से पानी मिलता है। भिलाई इस्पात संयंत्र व एनएसपीसीएल में एक्सपांशन के प्रोजेक्ट लंबित है। इन उद्योगों को एक्सपांशन के लिए पर्याप्त पानी मिल सकेगा। वहीं नए उद्योगों को भी तांदुला से पानी दिया जा सकेगा।

तांदुला से बालोद, दुर्ग, भिलाई, रिसाली, भिलाई तीन, चरोदा नगर निगम को पानी दिया जाता है। ये सभी नगर निगमों में आबादी का विस्तार तेजी से हो रहा है। इन शहरों को आबादी के विस्तार के अनुरूप समय समय पर पर्याप्त पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा। वहीं गांवों में जल जीवन मिशन के तहत पेयजल सप्लाई में भी इससे आसानी होगी।

इस तरह लिफ्ट कर लाया जाएगा पानी

जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि महानदी-तांदुला लिंक परियोजना को विभागीय बजट में मंजूरी मिल गई है। जल्द टेंडर व काम शुरू कराने की तैयारी की जा रही है। परियोजना के तहत महानदी से बाये तट पर चारामा के पास पानी लिफ्ट करने के लिए एनीकट व इंटकवेल का निर्माण किया जाएगा। इंटकवेल में 1800 एचपी के 12 वीटी पम्प के माध्यम से पानी लिफ्ट किया जाएगा। पम्प से महानदी का पानी खींचकर 3000 एमएम व्यास से पाइप लाइन के माध्यम से इसे 15.50 किमी दूर ग्राम अरजगुड़ा के पास सूखा नाला में पहुंचाया जाएगा। यहां से सूखा नाला के माध्यम से करीब 4 किमी की दूरी तय कर पानी ग्राम मल्लेगुड़ा के पास तांदुला जलाशय में पहुंचेगा। इस सिस्टम से हर दिन 800 क्यूसेक पानी महानदी से तांदुला पहुंचाया जा सकेगा।

गंगरेल-तांदुला लिंक प्रोजेक्ट का विकल्प

इससे पहले इसी तर्ज पर तांत्कालीन जल संसाधन मंत्री स्वर्गीय हेमचंद यादव की पहल पर 348 करोड़ के गंगरेल-तांदुला लिंक नहर प्रोजेक्ट बनाया गया था, लेकिन तकनीकी कारणों से यह 10 साल से अटका हुआ था। इधर पिछले दिनों सांसद विजय बघेल ने इस दिशा में दोबारा पहल शुरू की थी। इसके बाद तकनीकी दिक्कतों को देखते हुए विकल्प के रूप में यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया। जिसे अब मंजूरी भी दे दी गई है।

बढ़ेगा 6145 हेक्टेयर सिंचाई का रकबा

जल संसाधन के अफसरों के मुताबिक तांदुला में महानदी का पानी लिफ्ट करने के बाद इसे 4 मध्यम और 14 लघु परियोजना के जलाशयों में भी पहुंचाया जा सकेगा। इससे तांदुला की कम हो चुकी 19 हजार 938 हेक्टेयर क्षमता को पूर्ण करने के साथ इन जलाशयों से लगे 6 हजार 145 हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई की सुविधा भी मुहैया कराई जा सकेगी।