एक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने में करीब 600 करोड़ रुपए तक का खर्च आता है। चंदूलाल मेडिकल कॉलेज के पास बहुत से संसाधन पहले से मौजूद है, इससे खर्च की राशि आधी हो जाएगी। कॉलेज पर दो बैंकों के करीब 143 करोड़ की देनदारी है। इसका निपटारा कैसे होगा, इसके लिए अब सरकार को फैसला करना है।
अभी तक क्रिटिकल केस होने की स्थिति में जिला अस्पताल मरीज को रायपुर स्थिति मेडिकल कॉलेज में रेफर करता है, लेकिन चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल को शासकीय कॉलेज का दर्जा हासिल होने के बाद यह कॉलेज रिफरल टेरसरी केयर सेंटर की तरह काम करेगा। आपात स्थिति में जिला अस्पताल मरीज को चंदूलाल मेडिकल कॉलेज में रेफर कर देगा। जिले के पीएसई, सीएसई के मरीज भी आएंगे। इससे दुर्ग के मरीजों को रायपुर भेजने की जरूरत नहीं होगी।
जिले में शासकीय मेडिकल कॉलेज की शुरुआत से लोगों की निजी अस्पतालों पर निर्भरता कम होगी। राज्य स्तरीय सुविधाएं मिलेंगी। राज्य सरकार यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति करेगी, जिससे सीधे तौर पर लोगों का भला होगा। शानदार नर्सिंग सुविधा मिलेगी। यह मेडिकल कॉलेज जिले के हायर केयर सेंटर के तौर पर काम करेगा। मरीज को शासकीय योजनाओं का लाभ मिलेगा।
चंदूलाल मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण करने के साथ ही राज्य चिकित्सा शिक्षा संचालनालय नेशनल मेडिकल कमीशन में सत्र 2021-22 के लिए आवेदन करेगा। राज्य सरकार एनएमसी को कॉलेज टेकओवर करने के विषय में जानकारी देगी। सबकुछ ठीक रहा तो एनएमसी इस कॉलेज को शासकीय मेडिकल कॉलेज का दर्जा देते हुए निरीक्षण करने टीम भेजेगी।