
संप्रेक्षण गृह में उपद्रव रोकने हाईकोर्ट ने बनाई समिति, सदस्यों को पता नहीं
दुर्ग . बाल संप्रेक्षण गृह में लगातार होने वाले उपद्रव के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ प्रस्तुत परिवाद में हाईकोर्ट ने तीन अधिवक्ताओं की स्वतंत्र कमेटी बनाकर प्रतिवेदन 25 नवंबर तक मांगा है। इधर समिति में शामिल अधिवक्ताओं को ही पता नहीं है कि वे कमेटी के सदस्य हैं। अधिवक्ता सदस्यों का कहना है कि अब तक उन्हें विधिवत आदेश ही नहीं मिला है। समिति से जांच कराने का उद्देश्य बाल संप्रेक्षण गृह मेंं पर होने वाले उपद्रव और अपचारी बच्चों के भाग जाने की घटना को नियंत्रित करना है। अधिवक्ताओं को जेजे एक्ट का ज्ञान है। एक्ट के हिसाब से क्या कमियां है इसकी वास्तविक स्थिति सामने आएगी। इस प्रतिवेदन के आधार पर ही लगातार हो रहे उपद्रव को रोकने हाईकोर्ट शासन को सुझाव देगा। हाईकोर्ट ने 1 अक्टूबर को दिए आदेश में अधिवक्ता सचिन सिंह राजपूत, रजनीश सिंह वर्मा व संतोष वर्मा को बाल संप्रेक्षण गृह का स्वतंत्र रुप से व्यवस्थाओं को देखने के बाद प्रतिवेदन प्रस्तुत करने कहा है।
दो अपचारी के परिजनों ने लगाई है याचिका
अधिवक्ता सौरभ चौबे ने बताया कि बाल संप्रेक्षण गृह में लगातार उपद्रव की घटनाएं हो रही है। वर्ष 2017 में एक अपचारी पार्थ साहू की हत्या भी हुई थी। इसी घटना में एक अपचारी गंभीर रुप से घायल भी हुआ था। दोनों अपचारी के परिजनों ने हाईकोर्ट में व्यवस्था में सुधार लाने और अपचारी की मौत होने पर शासन से क्षतिपूर्ति दिलाए जाने की मांग की है। याचिका में तीन बड़ी घटनाओं को आधार बनाया गया है। याचिका अलग-अलग प्रस्तुत किया गया है, लेकिन हाईकोर्ट दोनों याचिका की सुनवाई संयुक्त रुप से कर रहा है। एक अक्टूबर को दो घंटे सुनने के बाद हाईकोर्ट ने स्वंतत्र कमेटी बनाकर जांच प्रतिवेदन मांगा है।
याचिका का आधार ये तीन बड़ी घटनाएं
12 जुलाई 2016- बाल संप्रेक्षणगृह के अपाचारियों ने नशे की हालत में जमकर उत्पात मचाया था। किशोर न्यायालय की तत्कालीन न्यायाधीश मोहनी कवर के सामने सुनवाईमें उपस्थित सिपाही पर चाकू से पहले हमला किया गया था। दो अन्य कर्मचारियों पर वार कर उन्हें भी घायल कर दिया। समझाईश देने संप्रेक्षणगृह पहुंचे तत्कालीन कलक्टर, एसपी, जिला एवं सत्र न्यायाधीश के सामने अपचारी बच्चे चाकू लहराते हुए सिलेण्डर को ब्लास्ट करने की धमकी देने लगे थे।
1 नवंबर 2017 : बाल संप्रेक्षणगृह के प्लेस ऑफ सेफ्टी गृह में मामूली बातों को लेकर दो पक्षों में विवाद हुआ था। विवाद बढऩे पर नशे में धुत दो युवकों ने दर्जन भर अपचारी बच्चों की पिटाई की और भाग निकले। दूसरे दिन भागे बच्चे वापस पहुंचे और फिर से विवाद करने लगे। इस दौरान आधी रात मार खाने वाले बच्चे एक जुट हुए और दोनों की जमकर पिटाई कर दी। इस घटना में उपचार के दौरान एक अपचारी की मौत हो गई थी।
9 दिसंबर 2018 : बाल संप्रेक्षणगृह में अपाचारी एकजुट हुए और उपद्रव करने लगे। ड्यूटी करने वाले नगर सैनिक की पिटाई की। आधा सैकड़ा उपद्रवी बच्चों ने पूरा संप्रेक्षणगृह को अपने कब्जे में लिया और पथराव करने लगे। इस दौरान अपचारी बच्चों ने आलमारी में रखे दस्तावेजों को भी जला दिया। तत्कालीन कलक्टर और एसपी समेत न्यायाधीश बाल संप्रेक्षण गृह पहुंचे। दो दिनों के बाद जैसे तैसे माहौल शांत हुआ।
यह कहना है समिति सदस्यों का
1. अधिवक्ता संतोष शर्मा का कहना है कि मुझे सदस्य बनाए जाने की जानकारी है। बाल संप्रेक्षण गृह जाने और वहां की जांच करने के लिए अधिकार पत्र की आवश्यक्ता है, वह मुझे प्राप्त नहीं हुआ है। पृथक से एक तरह का आदेश होना चाहिए।
2. अधिवक्ता सचिन सिंह राजपूत का कहना है कि उन्हें आज ही आदेश मिला है। हाईकोर्ट ने 1 अक्टूबर को आदेश जारी किया है। अन्य सदस्यों को जानकारी है कि नहीं इस बात से मै अनजान हूं। हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा।
Published on:
13 Nov 2019 11:28 pm
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