
रक्षा और आजाद आकर्षण का केंद्र
भिलाई@Patrika. सोवियत रूस और भारत की मैत्री का प्रतीक मैत्रीबाग 1972 में शुरू हुआ। यहां उड़ीसा के नंदन कानन, भुवनेश्वर से सफेद टाइगर तरुण व ताप्ती को 1997 में लेकर आए थे, आज इनका कुनबा 2 से बढ़कर 22 तक पहुंच गया। मध्य भारत का मैत्री गार्डन एक मात्र जगह हैं शान से बाघ (Tiger) आजाद घूमते हैं। मैत्रीबाग में हर साल 12 लाख से अधिक पर्यटक इन बाघों को देखने के लिए देशभर से आते हैं। सुरक्षा घेरे के अंदर बाघों की अटखेलियां और जल क्रीड़ा देखने से खुद को नहीं रोक पाते।
रक्षा और आजाद आकर्षण का केंद्र
वर्तमान में रक्षा और आजाद पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। देश में बाघों के संरक्षण का यह काम राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, एनटीसीए की नजरों में चल रहा है। मैत्रीबाग प्रबंधन ने इस दिशा में देशभर में बेहतर काम किया है। मैत्री गार्डन एक ऐसी जगह है जहां इंसानों के संरक्षण में बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। इंसान और टाइगर (Tiger) की दोस्ती की अनोखी मिसाल भी यहां देखने मिलती है। मैत्री गार्डन में बाघों की देखभाल करने वाले केयर टेकर से बाघों (Tiger) ने गहरी दोस्ती कर रखी है। वे उनके हाथों से खाना खाते हैं। बड़े प्यार से नहाते हैं और उनकी छुवन तक को महसूस करते हैं। बाघों का बढ़ रहा कुनबा
मैत्रीबाग से अब तक करीब 12 सफेद बाघ को 5 चिडिय़ा घर में दिया जा चुका है। इसके बाद 8 सफेद बाघ (Tiger) जू में है। विश्व में जब बाघ को बचाने जतन जारी है। तब मैत्रीबाग ने इस दिशा में बेहतर काम किया है। यहां बीडिंग अन्य जू से बेहतर है, यह बार-बार साबित होता रहा है।
आज international tiger day 2019
बाघों के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए 2010 से वल्र्ड टाइगर डे की शुरुआत हुई। 29 जुलाई का दिन बाघों (Tiger) के नाम समर्पित किया है। सुंदर वन्य प्राणियों के प्रति जागरुकता लाने के लिए बीएसपी प्रबंधन ने यहां आने वाले पर्यटकों को बाघों के संबंध में जानकारी देता है। रविवार को यूक्रेन के पर्यटक मैत्रीबाग के इन सफेद बाघ (Tiger) को देखने पहुंचे, तो मैत्रीबाग के इंचार्ज डॉक्टर एनके जैन ने उनको सफेद बाघ के संबंध में संरक्षण को लेकर किए जा रहे काम की जानकारी दी।
कब हुई अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने की शुरुआत
बाघ (Tiger) संरक्षण के काम को प्रोत्साहित करने, उनकी घटती संख्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित एक शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने की घोषणा हुई थी। इस सम्मेलन में मौजूद कई देशों की सरकारों ने 2022 तक बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया था।
भारत में बचे सिर्फ 3891 बाघ
वल्र्ड वाइल्ड लाइफ फंड और ग्लोबल टाइगर फोरम के 2016 के आंकड़ों के मुताबिक विश्व में करीब 6000 बाघ ही बचे हैं, जिनमें से 3891 बाघ भारत में मौजूद हैं। विश्व में बाघों की 6 प्रजातियां प्रमुख हैं, जिनमें बंगाल टाइगर, साइबेरियन बाघ, इंडोचाइनीज बाघ, मलायन बाघ, सुमात्रा बाघ, साउथ चाइना बाघ प्रमुख हैं।
Published on:
29 Jul 2019 06:32 pm
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