
Pandit Pradeep Mishra: कथा सुनकर जीवन में उतारें शिव का संदेश... दुर्ग में उमड़ी श्रद्धा की लहर, हर-हर महादेव के जयकारों से गूंजा पंडाल(photo-patrika)
Pandit Pradeep Mishra: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के कुबेरश्वर धाम सिहोर के अंतरराष्ट्रीय शिवकथा वाचक पं. प्रदीप मिश्रा की शिवकथा भगवान पाश्र्वनाथ की तीर्थ भूमि ग्राम नगपुरा में आयोजित हो रही है। कथा के दूसरे दिन पं. मिश्रा ने शिव भक्ति का गूढ़ संदेश जन-जन तक पहुंचाने के साथ ही मानव जीवन को परमात्मा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हुए कहा कि मानव जीवन का परम लक्ष्य ईश्वर की शरण में जाना है।
भगवान शिव किस रूप में, किस समय और कहां दर्शन देंगे, यह वही जानते हैं। भक्त का कर्तव्य है कि वह निष्काम भाव से श्रद्धा और विश्वास के साथ भक्ति करें। जब भक्ति सच्चे मन से की जाती है, तो महादेव स्वयं भक्त के जीवन में प्रवेश कर उसके कष्ट हर लेते हैं।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने आगे कथा में बताया कि अगर स्त्री अपने परिवार में सही शिक्षा और संस्कार का माहौल बनाती है, तो अपराध निश्चित रूप से रुक सकते हैं। यही घर के संस्कार ही समाज में बदलाव ला सकते हैं। समाज की समस्याओं पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा, आजकल लोग रिश्तों में गहराई नहीं, बल्कि मोबाइल में समय बर्बाद करते हैं। परिवार में मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग पर चिंता जताते हुए उन्होंने बताया कि यह मानसिकता रिश्तों को कमजोर बना रही है।
इस दौरान भगवान तीर्थकर पाश्र्वनाथ नगपुरा की धरती शिवभक्ति के रंग में सराबोर हो गई। कथा पंडाल में हर-हर महादेव के जयकारे गूंजते रहे। श्रद्धालुओं ने कथा से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में सत्य, करुणा और भक्ति के पथ पर चलने का संकल्प लिया।
आयोजन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के लिए दुर्ग पुलिस ने पुख्ता इंतजाम किए थे। ड्रोन कैमरों से निगरानी रखी जा रही थी और लगभग 500 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी। श्रद्धालुओं ने शांति और सुरक्षा के बीच कथा का जमकर आनंद लिया।
पं. मिश्रा ने कहा, कथा सुनना तभी सार्थक है जब उसे अपने जीवन में उतारा जाए। सिर्फ मंदिर जाना या कथा सुनना पर्याप्त नहीं, आचरण में बदलाव सच्ची भक्ति है। इसके अलावा उन्होंने परिवार का महत्व बताते हुए कहा कि पति-पत्नी का संबंध आध्यात्मिक यात्रा का सहयात्री होता है और घर का वातावरण ही समाज को सही दिशा देता है।
घर में संवाद, संस्कार और संयम का माहौल हो तो अपराधों पर काबू पाया जा सकता है। पं. मिश्रा ने मां को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों को शब्दों से नहीं, बल्कि संस्कारों से गढ़ा जाता है। वहीं, पत्नी को भी यह संदेश दिया कि वह अपने पति को प्रेमपूर्वक सही दिशा में मार्गदर्शन दे सकती है।
Updated on:
19 Dec 2025 01:09 pm
Published on:
19 Dec 2025 01:06 pm
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