
81 साल की उम्र में जैन मुनि ने लिया संथारा, अंतिम दर्शन के लिए CG और महाराष्ट्र के कोने-कोने से उमड़ा जैन सैलाब
दुर्ग. कर्नाटक गज केसरी गुरुदेव गणेश लालजी म.सा एवं दक्षिण केशरी मिश्री लाल जी के शिष्य तेला तप अराधक उप प्रवर्तक श्री विवेक मुनि म.सा ने संथारा के साथ गुरूवार को सुबह 7 बजे जय आनंद मधुकर रतन भवन में अंतिम सांस ली। मुनिश्री कुछ दिन से अस्वस्थ थे। भिलाई के प्राइवेट अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। बुधवार की रात 11.30 बजे स्वास्थ में अत्यधिक गिरावट के कारण डॉक्टर की सलाह ले कर गुरुवार को सुबह जय आनंद मधुकर रतन भवन लाए। उन्हें छत्तीसगढ़ प्रवर्तक श्रीरतन मुनि ने 81 वर्ष की आयु में संथारा (Santhara) का संकल्प दिलाया। लगभग डेढ़ घंटे बाद उनके संथारे का संकल्प पूर्ण हुआ और वह देव गति को प्राप्त हुए।
अंतिम यात्रा में शामिल हुए जैन समाज के लोग
जय आनंद मधुकर रतन भवन बांध का तालाब दुर्ग से उनकी बैकुंठी यात्रा प्रारंभ हुई। ओसवाल पंचायत दुर्ग एवं श्रमण संघ दुर्ग के आव्हान पर बैकुंठी यात्रा 12.30 बजे जय आनंद मधुकर रतन भवन से निकली। छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों के जैन समाज के सभी संप्रदाय के लोग अंतिम दर्शन के लिए उपस्थित रहे। विवेक मुनि की अंतिम यात्रा बांधा तालाब से प्रारंभ होकर शनिचरी बाजार जवाहर चौक गांधी चौक, मोती कॉम्प्लेक्स, पुराना बस स्टैंड में समाप्त हुई। वहां से जैन समाज के लोग जय कार्य के साथ मंगल साधना केंद्र मंगलम पहुंचे वहां उनका अंतिम दर्शन के लिए कुछ समय तक रखा गया। फिर जैन समाज एवं उनके परिवार की उपस्थिति में उनका अंतिम संस्कार मंगल साधना केंद्र मंगलम चरोदा में किया गया। मंगल साधना केंद्र के इसी परिसर में श्री विवेक मुनि का समाधि स्थल निर्माण किया जाएगा। ओसवाल पंचायत दुर्ग के पारित प्रस्ताव के अनुसार जैन समाज के लोग अपनी व्यापारिक प्रतिष्ठान दिन भर बंद रख कर अंतिम यात्रा में शामिल हुए
विवेक मुनि महाराज का संक्षिप्त परिचय
श्री विवेक मुनि का जन्म सन 1940 में हुआ था। उनकी माता चंदा देवी एवं पिता सुगनचंद सिंधवी थे। स्वर्गीय सुशीला देवी उनकी धर्मपत्नी थी। उनकी एक पुत्र नितिन एवं पुत्री सुनीता भलगठ हैं।श्री विवेक मुनि की दीक्षा कलम महाराष्ट्र में सन 2000 में हुई थी। गुरु के रुप में साध्वी प्रभा कवरजी ,गुरु मिश्रीलालजी के पावन सानिध्य में संयम धर्म पालन किया। कर्नाटक गज केसरी श्री गणेश लाल महाराज की शिष्य परंपरा में श्री विवेक मुनि दीक्षित हुए।
तेला तप आराधक के रुप में हुई प्रसिद्धि
38 वर्ष की उम्र में कई बड़े पचखान लिए। 53 उपवास की तपस्या एवं कई मासखमण तथा 8 की तपस्या कई बार की। उनके शिष्य के रूप में श्री सोरव मुनि एवं गौरव मुनि साथ हैं।
Published on:
02 Oct 2021 04:23 pm
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