
ramaiah
दुर्ग। दारीपल्ली रमैया वो शख्स हैं जिनके बिना खम्मम में कोई भी कार्यक्रम पूरा नहीं होता। इस महान शख्स ने पेड़ों को बचाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी दांव पर लगा दी। हर एक समारोह में रमैया को भले ही पुरस्कारित किया जाता हो, लेकिन समारोह के अंत में वह भीड़ द्वारा फेंके गए प्लास्टिक प्रोडक्ट्स को उठाने का काम करते हैं। इसके चलते कई बार लोग उन्हें कूड़ा बिनने वाला समझ लेते हैं, लेकिन चाहे उनके बारे में जो समझे वह अपने लक्ष्य पर अटल रहते हैं।
पत्नी ने भी की पूरी मदद
68 वर्षीय रमैया पिछले कई दशकों से पेड़ लगाने का काम करते आ रहे हैं और उन्होंने अभी तक अपने जीवन में एक करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाए हैं। रमैया के इस मिशन में उनकी पत्नी का योगदान भी है। वह पेड़ लगाने और पौधों को पानी देने का काम निरंतर रूप से करती हैं। रमैया कहते हैं कि मुझे नहीं पता कि इतने सालों में मैंने कितने पेड़ लगाए हैं। मैं कार्य करने में अपना विश्वास रखता हूं। रमैया ने सैंकड़ों बायो-डीजल प्लांट्स लगाए हैं। उन्होंने पिंडीपरोलू, दमईगुदेम व अन्य गांवों में कई जगहों पर इस तरह के प्लांट्स लगाए हैं।
क्या है बायो डीजल प्लांट
बायो डीजल प्लांट (पौधे) ना केवल पर्यावरण संरक्षण में सहायक होते हैं, बल्कि इसकी खेती करने वालों को आर्थिक रूप से भी मदद मिलती हैं। अन्य फसलों के मुकाबले में इसकी खेती करना कहीं ज्यादा सस्ता पड़ता है। बायो डीजल प्लांट का उपयोग वैकल्पिक इंधन बनाने में भी किया जाता है। देश के दक्षिणी राज्यों में इन प्लांट्स की बहुतायात में खेती की जाती है और इंधन में मिक्स कर वाहनों में भी इस्तेमाल लिया जाता है। इससे रेलवे और रोड ट्रांसपोर्टेशन को भारी बचत मिलती है।
सरकार ने कितना दिया समर्थन
इस बेहतरीन काम के लिए रमैया को सरकार की ओर से हर महीने 1500 रुपए मिलते हैं। रमैया का कहना है कि अधिकारियों ने उनको प्रतिमाह मिलने वाली रकम को बढ़ाने का वादा किया था, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। रमैया का सपना है कि उनके मिशन को आगे बढ़ाने के लिए एक नर्सरी बनाई जाए, ताकि उनके इस काम का असर बड़े पैमाने पर हो सके।
Published on:
29 Sept 2015 04:11 pm
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