
गणतंत्र दिवस: देश के संविधान को दुर्ग में मिली हिन्दी भाषा, संविधान सभा के इस सदस्य ने किया था अंग्रेजी से हिंदी ट्रांसलेट
हेमंत कपूर@ दुर्ग. देश में 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ, उसे भाषाई स्वरूप हमारे दुर्ग शहर से मिला। शहर के घनश्याम सिंह गुप्ता ने अंग्रेजी में लिखे संविधान के हिन्दी अनुवाद में खास भूमिका निभाई। गुप्ता संविधान सभा के सदस्य होने के साथ संविधान के हिन्दी अनुवाद के लिए बनाई गई समिति के अध्यक्ष भी रहे।
दो बार जेल गए
गुप्ता अंग्रेजी शासनकाल में सीपी एंड बरार स्टेट विधानसभा के लगातार 14 साल तक अध्यक्ष भी रहे और उन्होंने ही विधानसभा में हिन्दी व मराठी में कार्रवाई की शुरुआत करवाई। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलकर छूआछूत और धर्मान्तरण के खिलाफ पूरे जीवन संघर्ष करने वाले गुप्ता अंग्रेजी शासनकाल में सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान अंग्रेजों के खिलाफत की वजह से दो बार जेल भी गए।
41 विशेषज्ञों ने किया अनुवाद
संविधान सभा द्वारा गुप्ता के नेतृत्व में 41 विशेषज्ञों की टीम बनाकर संविधान के हिन्दी अनुवाद की जिम्मेदारी दी गई। टीम में राहुल सांकृत्यायन, डॉ. सुनीति चटर्जी, जयचंद विद्यालंकार, मोटुरि सत्यानारायण और यशवंत आर दाते उनके मुख्य सहयोगी थे। 2 साल 6 माह की मेहनत के बाद 24 जनवरी 1950 को संविधान का हिन्दी ड्रॉफ्ट संविधान सभा में रखा गया।
घनश्याम सिंह गुप्ता का जन्म दुर्ग में 22 दिसंबर 1885 में हुआ। दुर्ग में प्रारंभिक व रायपुर में उनकी हाईस्कूल की शिक्षा हुई। इसके बाद जबलपुर के राबर्ट्सन कॉलेज में बीएससी की पढ़ाई के बाद वे एमएसएसी और कानून की पढ़ाई इलाहाबाद में की। इलाहाबाद में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान उनकी राजनीतिक जीनव की शुरुआत हुई। वे 80 वर्ष की आयु तक राजनीतिक यात्रा में सक्रिय रहे।
राजनीतिक सफर
गुप्ता दुर्ग के म्यूनिसिपल कमेटी व जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष रहे। वर्ष 1919 से 1956 तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे 1937 से 1952 तक वे सीपी एंड बरार विधानसभा के विधानसभा अध्यक्ष रहे।
गांधी-नेहरू, घर पर भी ठहरे
गुप्ता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व पंडित जवाहरलाल नेहरू के भी काफी करीब थे। आजादी के पहले उनके बुलावे पर पंडित नेहरू दुर्ग आए और एक सभा को संबोधित किया। हरिजन मुक्ति आंदोलन के दौरान गांधी जी भी दुर्ग आए और गुप्ता के निवास में ठहरे। इस दौरान गांधी जी ने शनिचरी बाजार स्थित बैथड स्कूल में अछूत समझे जाने वाले वर्ग के बच्चों के साथ बैठकर भोजन भी किया।
जीवनभर करते रहे जनसेवा
वे धर्मान्तरण के खिलाफ धार्मिक अन्याय को लेकर जीवन भर संघर्ष किया। मिशनरियों द्वारा धर्मान्तरण की जांच के लिए बनी राष्ट्रीय छानबीन समिति में वे सदस्य भी रहे। 30 वर्षों तक अभा आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष भी रहे। 13 जून 1976 को उनका निधन हुआ।
नारी शिक्षा के पक्षधर खोला जिले का पहला कन्या विद्यालय
छुआछूत और धर्मान्तरण के खिलाफ संघर्ष के साथ गुप्ता ने बरसों पहले ही नारी शिक्षा का अलख जगाना शुरू कर दिया था। गुप्ता का पूरा जीवन सामाजिक चेतना व नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए समर्पित रहा। उनके इस प्रयास को अब उनके परिजन ने उनके नाम पर कन्या विद्यालय और महाविद्यालय खोलकर आगे बढ़ा रहे हैं।
Published on:
26 Jan 2019 03:42 pm
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