
पिछली बार अवर्षा के कारण झेलना पड़ा था जलसंकट
जिले की पानी की जरूरत बालोद के खरखरा और तांदुला जलाशय से पूरी होती है। खरखरा से पेयजल के लिए और तांदुला से निस्तारी तालाबों को भरने के लिए पानी मिलता है। पिछले मानसून सीजन में शुरूआत में सूखे के हालात रहे, हालांकि बाद में जलाशयों के कैचमेंट में अच्छी बारिश हुई। इसके चलते सितंबर के अंत तक दोनों जलाशयों में पर्याप्त पानी भर गया। खरखरा अगस्त के अंत में लबालब होकर छलक गया था। वहीं अब इन जलाशयों का करीब आधा पानी खत्म हो गया है। दूसरी ओर इस बार भीषण गर्मी की संभावना जताई जा रही है।
यह है पानी का गणित
पेयजल व निस्तार की सामान्य जरूरत के लिए जलाशयों में ग्रीष्म की शुरूआत में करीब 34 फीसदी पानी होना जरूरी है। इसके अलावा करीब 8 से 10 फीसदी पानी सिल्ट के कारण बाहर नहीं निकल पाता। वहीं गर्मी के कारण करीब 10 फीसदी पानी वाष्पीकृत हो जाता है। इन्हें मिला दे तो गर्मी से पहले जलाशयों में 50 फीसदी पानी होना जरूरी है। इस दृष्टिकोण से फिलहाल पानी ठीक है, लेकिन ज्यादा गर्मी अथवा विलंब से बारिश की स्थिति में समस्या गंभीर हो सकती है।
पिछले साल झेल चुके हैं गंभीर संकट
जलाशयों में पानी नहीं होने के कारण जिले को पिछले साल जबरदस्त जलसंकट का सामना करना पड़ा था। हालात यह रहा कि जून के अंत तक जलाशय डेड लेबल तक पहुंच गए थे। इसके बाद भी मानसून की शुरूआत अच्छी नहीं रही, इसके चलते अगस्त के मध्य तक जलाशयों में नहीं के बराबर पानी भर पाया था। इस बार स्थिति थोड़ी बेहतर है लेकिन मानसून का मिजाज बिगड़ा तो संकट की स्थिति बन सकती है।
जून तक बारिश नहीं तो बढ़ेगी परेशानी
सामान्य स्थिति में जून के शुरू में जिले में प्री-मानसून की बारिश होने लगती है, लेकिन पिछला अनुभव ठीक नहीं रहा है। यदि इस बार भी ऐसा ही हुआ और जून के मध्य या अंत तक बारिश नहीं हुई तो परेशानी बढ़ जाएगी। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पेयजल पहुंचाने की व्यवस्था नहीं है। हालांकि अफसर जुलाई तक की जरूरत के लायक जलाशयों में पानी होने की बात कह रहे हैं, लेकिन पिछली बार अगस्त के मध्य तक जलाशय खाली थे।
Published on:
07 Apr 2022 09:01 pm
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