
278 हेक्टेयर में सब्जी उत्पादित कर महिलाओं ने कमाए 94 लाख
यह संभव हुआ है नरवा, गरवा, घुरुवा, बाड़ी योजना के माध्यम से उद्यानिकी विभाग की गई पहल से। जिसमें सीमित क्षेत्र से अतिरिक्त आय अर्जित करने के साथ-साथ जिले में कुपोषण स्तर कम करने के लिए व्यक्तिगत व सामुदायिक बाड़ी का विकास वृहद स्तर पर किया जा रहा है। जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण परिवेश में निवासरत लोगों को अपने गांव व घर पर ही ताजी एवं पौष्टिक फल व सब्जियां उपलब्ध कराना है। इसके अतिरिक्त भोजन की थाली में पोषक खाद्य पदार्थ की संख्या में वृद्धि कर ग्रामीण परिवारों को शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक रूप से भी सशक्त किया जाना है।
अनुदान में सहायक सामग्री
पाटन के ग्राम अरसनारा में सामुदायिक बाड़ी में उद्यानिकी फसल (सब्जी-भाजी) का उत्पादन भगवती स्व सहायता समूहों द्वारा किया जा रहा है। स्व सहायता समूह की पूर्णिमा पंडरिया ने बताया कि विभाग द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन के साथ-साथ अनुदान स्वरूप शेडनेट हाउस, ड्रीप, सब्जी मिनीकीट, पत्तागोभी, बैंगन, पावर विडर प्रदाय किया गया है। उन्होंने बताया कि सब्जी-भाजी के उत्पादन से अच्छी आय प्राप्त हो रही है।
34 से बढ़कर 139 बाडिय़ां
पाटन के फेकारी, केसरा, बोरेंदा, बठेना, कौही, दुर्ग के चंदखुरी, गनियारी, पुरई, घुघसीडीह धमधा के पथरिया डोमा, चेटवा, संडी, कोडिय़ा व अन्य छोटी बड़ी बाडिय़ों से महिलाएं आय प्राप्त कर रही हैं। जिले में वर्ष 2020-21 में जिले में 34 सामुदायिक बाडिय़ां थी, जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 139 हो गई है। वहीं 16 फल उद्यानों का भी निर्माण किया जा रहा है। जहां अमरूद, केला, पपीता आदि उगाया गया है। इन बाडिय़ों में 137 स्व सहायता समूह की महिलाओं द्वारा 278 हेक्टेयर में 4235.34 क्विंटल सब्जियां उत्पादित की जा चुकी है।
Updated on:
26 May 2023 09:30 pm
Published on:
26 May 2023 09:07 pm
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