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ई-वे बिल के नाम पर हो रहा फर्जीवाड़ा, GST के बाद भी हुई 1200 करोड़ की टैक्स चोरी

locationनई दिल्लीPublished: Dec 28, 2018 09:46:09 am

Submitted by:

Dimple Alawadhi

देश को कालेधन से मुक्त करने के लिए मोदी सरकार ने भारत में एक ही तरह की कर प्रणाली, गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) लागू किया। लेकिन टैक्स चोरों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया।

GST fraud

ई-वे बिल के नाम पर हो रहा फर्जीवाड़ा, GST के बाद भी हुई 1200 करोड़ की टैक्स चोरी

नई दिल्ली। देश को कालेधन से मुक्त करने के लिए मोदी सरकार ने भारत में एक ही तरह की कर प्रणाली, गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) लागू किया। लेकिन टैक्स चोरों ने इसका भी तोड़ निकाल लिया। देश में एक के बाद एक फर्जी ई-वे बिल सामने आने लगे। शुरुआत में मध्यप्रदेश के इंदौर से फर्जी ई-वे बिल पकड़ा गया, लेकिन जांच पड़ताल के बाद पता चला कि इसके तार भोपाल, ग्वालियर और छतरपुर से लेकर महाराष्ट्र के ठाणे, गुजरात के भावनगर तक से जुड़े हैं।


1200 करोड़ तक का नकली ट्रांजेक्शन कर चुके हैं आरोपी

सभी फर्जी बिल से पता चला कि कई फर्जी कंपनियां बनाकर आरोपियों ने करोड़ों की टैक्स चोरी की। वाणिज्यिक कर विभाग और सेंट्रल एक्साइज जीएसटी विभाग की संयुक्त कार्रवाई से अनुमान लगाया गया है कि आरोपी अब तक 1200 करोड़ तक का नकली ट्रांजेक्शन कर चुके हैं, जबकि 100 करोड़ से ज्यादा का इनपुट टैक्स क्रेडिट लिया गया है। फिलहाल ये जानने की कोशिश की जा रही है कि करोड़ों की टैक्स चोरी का मास्टरमाइंड कौन है और ये जाल किसने बुना है। हालांकि घोटाले की राशि का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।


क्या कहना है आयुक्त सेन्ट्रल जीएसटी नीरव कुमार मल्लिक का ?

इस संदर्भ में आयुक्त सेन्ट्रल जीएसटी नीरव कुमार मल्लिक ने बताया, ‘जब हमने कुछ ई-वे बिल पकड़े, रिकॉर्ड्स चेक किए तो बहुत सारी फर्म ऐसी थीं जिसमें एक ही मोबाइल नंबर, एक ही ई-मेल था। पहली दफा देखने से ही पता लगा कि एक ही नंबर से इतनी सारी फर्मों का संचालन हो रहा है। इन फर्मों के तार 2-3 राज्यों में फैले हैं। भावनगर में, मुंबई में, जबलपुर में तो राज्य सरकार और केन्द्र ने साथ मिलकर कार्रवाई की। शुरू में 400 फर्मों के ऑपरेशन संदिग्ध लगे लेकिन इतने फर्मों पर एक साथ कार्रवाई नहीं कर सकते थे, इसलिए पहले हमने 24 फर्म चुने। जांच के दौरान पता चला कि सभी फर्मों के मालिक भी ठगी का शिकार हुए हैं जिनके दस्तावेज लेकर फर्जी कंपनी बना ली गई।’

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