
नई दिल्ली। अमरीकी सांसदों ने राष्ट्रपति से एक बार फिर से भारत को जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज यानी जीएसपी के दायरे में लाने का प्रस्ताव दिया है। अमरीका ने जून में भारत से यह विशेष दर्जा वापस ले लिया था। अमरीका के इस फैसले के बाद अमरीकी व्यापार को घाटा होने लगा है। अमरीकी व्यापार और नौकरियों को घाटा हो रहा है। जिसकी वजह से अमरीका के सांसद चाहते हैं कि भारत को एक बार फिर से व्यापार में फिर से विशेष तरजीह दी जाए। आपको बता दें कि 40 हजार करोड़ रुपए के भारतीय सामान को अमरीका में आयात शुल्क में छूट मिली हुई थी, जिसे 2017 में दी गई थी।
अमरीका को रहा है ज्यादा नुकसान
अमरीकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर को 44 सांसदों ने पत्र लिखा है। जिसमें 26 डेमोक्रेट्स और 18 रिपब्लिकन सासंदों ने हस्ताक्षर किए हैं। कांग्रेस (संसद) सदस्य जिम हाइम्स और रॉन एस्टेस की तरफ से लिखे पत्र में हमें अपने उद्योगों के लिए बाजारों की उपलब्धता सुनिश्चित करानी होगी। कुछ छोटे मुद्दों पर मोल-भाव की वजह से इस पर असर नहीं पडऩा चाहिए।
कोलेशन फॉर जीएसपी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डैन एंथनी के अनुसार भारत से जीएसपी दर्जा छीने जाने के बाद से ही अमरीकी कंपनियां संसद को नौकरियों और आमदनी के नुकसान के बारे में जानकारी दे रही हैं। इसका नुकसान भारत को नहीं अमरीका को भुगतना पड़ रहा है। इंडियन एक्पोर्टर की हालत जीएसपी के हटने के बाद भी अच्छी स्थिति में दिखाई दे रही है।
वहीं अमरीकी कंपनियों को हर दिन 10 लाख डॉलर 7 करोड़ रुपए नए टैरिफ के तौर पर चुकाने पड़ रहे हैं। आंकड़ों की मानें तो जुलाई में ही अमरीकी कंपनियों को 3 करोड़ डॉलर ( 214 करोड़ रुपए ) का नुकसान झेलना पड़ा है।
ट्रंप और मोदी के बीच जीएसपी पर हो सकती है बातचीत
22 सितंबर को ह्यूस्टन में भारतीय समुदाय की रैली को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक साथ संबोधित करेंगे। जानकारों की मानें तो दोनों राष्ट्राध्यक्ष्र जीएसपी के विवाद को सुलझा लेंगे। दोनों देशों के बीच काफी समय से विवाद का मुद्दा बना हुआ है। अब इसका नुकसान अमरीकी व्यापार को हो रहा है तो अमरीकी राष्ट्रपति भी चाहेंगे कि भारत को जीएसपी में शामिल किया जाए।
Published on:
18 Sept 2019 01:09 pm
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