
Black Money
नई दिल्ली। यह बात हम नहीं बल्कि विभन्न बैंकों के करेंसी चेस्ट से आई रिपोर्ट कह रही है। डिमोनेटाइजेशन फेल हो चुकी है। काले धन का विस्तार पहले से बढ़ गया है। जिसकी वजह बना है देश का सबसे बड़ा नोट 2000 रुपए। कभी कालेधन को रोकने के लिए लाए गए 2000 रुपए नोट ही ही देश में कालेधन की वजह बन गए हैं। बैंक की ब्रांचों और करेंसी चेस्ट से आने वाली रिपोर्टों से इस बात का खुलासा हो रहा है। जो चौंकाने वाली सामने आई है वो ये है कि मार्च 2018 में बैंकों की करेंसी चेस्ट की बैलेंस शीट के अनुसार बैंकों में 2000 रुपये के नोटों की संख्या कुल रकम का औसतन दस फीसदी ही रह गई है। ये हालात तब है जब भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी करेंसी में 2000 रुपए के नोटों का हिस्सा 50 फीसदी से अधिक है।
35 फीसदी से कम हुई कैश में आवक
- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नोटबंदी के बाद सात लाख करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के 2000 रुपए के नोट जारी किए थे।
- जुलाई तक बैंकों में कैश की आवक में दो हजार रुपए के नोटों की संख्या करीब 35 फीसद रहती थी।
- नवंबर 2017 तक घटकर यह 25 फीसद रह गई।
- भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया जैसे बैंकों के करेंसी चेस्ट के आंकड़ों में 2000 रुपये के नोट की संख्या 9 से 14 फीसद तक ही है।
- अधिकारियों के अनुसार रिजर्व बैंक से जुलाई 2017 के बाद दो हजार रुपए की करेंसी नहीं मिली।
- बैंक में जमा के रूप में वापस आ रही रकम में भी 2000 रुपए के नोट कम हैं।
रिपोर्ट की कुछ और खास बातें
- एक बड़े बैंक के मुख्य करेंसी चेस्ट का औसतन बैलेंस नोटबंदी के पहले 300 करोड़ था, जो अब 100 करोड़ रह गया।
- बैंकों से जमा नकदी रोजाना औसतन 14 करोड़ से घटकर 4 करोड़ रह गई है। इसमें 2000 रुपए के नोट मुश्किल से 50 लाख रुपए मूल्य के हैं।
- सरकारी खातों की अधिकता वाले एक बैंक के करेंसी चेस्ट का औसतन बैलेंस नोटबंदी के पहले करीब 900 करोड़ था जो 250 करोड़ रह गया।
- रोजाना की जमा नकदी 80 करोड़ से घटकर 40 करोड़ रह गई है। इसमें 2000 रुपए के नोट 4 करोड़ से भी कम मूल्य के हैं।
Updated on:
16 Apr 2018 04:24 pm
Published on:
16 Apr 2018 04:19 pm
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