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डॉलर के मुकाबले रुपए में 20 महीने की सबसे बड़ी कमजोरी, जानिए आपकी जिंदगी पर क्या पड़ेगा असर

डॉलर के मुकाबले रुपए में काफी बड़ी गिरावट देखने को मिली है। अगर आम आदमी से जोड़कर और आसान भाषा में समझे तो देश में महंगाई विस्फोन होने आसार बढ़ गए हैं। इसका कारण है कि देश में इंपोर्टेड सामान से लेकर पेट्रोल और डीजल के दाम में इजाफा होगा और तमाम सामान के भाव बढ़ जाएंगे।  

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Saurabh Sharma

Apr 08, 2021

Biggest weakness in rupee against dollar what will effect on your life

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नई दिल्ली। कोरोना के गहराते कहर और भारतीय रिजर्व बैंक के फैसले के बाद देसी करेंसी रुपये की चाल कमजोर पड़ गई है। बीते सत्र में देसी करेंसी में अगस्त के बाद की सबसे बड़ी एक दिन ही गिरावट दर्ज की गई। जानकार बताते हैं कि रुपया दोबारा 75 रुपये प्रति डॉलर के पार जा सकता है। हाजिर में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया बुधवार को बीते सत्र से 1.12 रुपये यानी 1.53 फीसदी की कमजोरी के साथ 74.55 रुपये प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ। खास बात तो ये है कि रुपए में गिरावट की वजह से आम लोगों की जिंदगी में काफी प्रभाव पड़ता है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर रुपएके गिरावट के कारण क्या है और उसका आपकी जिंदगी में क्या प्रभाव पडऩे वाला है।

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20 महीने की सबसे बड़ी गिरावट
आईआईएफएल सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसीडेंट ( करेंसी व एनर्जी रिसर्च ) अनुज गुप्ता ने बताया कि देश में कोरोना का प्रकोप दोबारा बढऩे से विभिन्न शहरों में लॉकडाउन जैसे प्रतिबंधात्मक उपाय किए जाने से देसी करेंसी की चाल कमजोर पड़ गई है। उन्होंने बताया कि देसी करेंसी में 75 से 75.50 रुपये प्रति डॉलर के बीच कारोबार देखने को मिल सकता है। उधर, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति को आगे भी समायोजी बनाए रखने के संकेत देने का भी असर देसी करेंसी पर दिखा। आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक के नतीजे आने के बाद रुपये में अगस्त 2019 के बाद की सबसे बड़ी एक दिनी गिरावट दर्ज की गई। डॉलर के मुकाबले रुपया करीब चार महीने के निचले स्तर पर चला गया है। केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने बताया कि कोरोना के कहर के साथ-साथ वैश्विक कारणों से विदेशी पूंजी का प्रवाह थमने के कारण भी देसी करेंसी की चाल सुस्त पड़ गई है।

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देसी करेंसी में कमजोरी के ये हैं मुख्य कारण
1. कोविड-19 का प्रकोप दोबारा गहराने से अर्थव्यवस्था की रफ्तार मंद पडऩे की आशंका।
2. अमेरिका में 10 साल के बांड की यील्ड बढऩे और डॉलर में मजबूती आने से विदेशी पूंजी के इन्फ्लो में कमी।
3. केंद्रीय बैंक ने जीएसएपी के तहत इस तिमाही के दौरान सेकेंडरी मार्केट से एक लाख करोड़ बांड खरीदने का एलान किया है।
4. देश कीे कैपिटली मार्केट में विदेशी संस्थागत निवेशकों की विकवाली में इजाफा।
5. कच्चे तेल में तेजी का असर क्योंकि कच्चा तेल महंगा होने से तेल आयात के लिए डॉलर की मांग बढऩे से देसी करेंसी पर दवाब स्वाभाविक है।

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आम लोगों की जिंदगी पर कैसा पड़ेगा असर
विदेश में सैर करना हो जाएगा महंगा: रुपए में गिरावट के कारण विदेश की यात्रा आपको थोड़ी महंगी पड़ेगी, क्योंकि आपको डॉलर का भुगतान करने के लिए ज्यादा भारतीय रुपए खर्च करने होंगे। उदाहरण के तौर पर न्यूयॉर्क की टिकक 4000 डॉलर की है तो अब आपको भारत में इसके लिए ज्यादा खर्च करने होंगे।

विदेश में पढ़ाई होगी महंगी: अगर आपका बच्चा विदेश में पढ़ रहा है तो अब आपको उसका खर्च उठाना महंगा हो जाएगा। अपने बच्चे को आपको पहले के मुकाबले ज्यादा रुपए भेजने होंगे।

बढ़ जाएगी महंगाई: डॉलर के मजबूत होने से क्रूड ऑयल महंगा होगा और जो कच्चा तेल विदेश से मंगाते हैं उस पर देश को ज्यादा डॉलर खर्च करने होंगे। जिसकी वजह से भारत में डीजल के दाम में इजाफा हो जाएगा और महंगाई बढ़ जाएगी।

इंपोर्टेड सामान होगा महंगा: देश में कई ब्रांड के प्रोडक्ट्स भारत में आते हैं। डॉलर में इजाफा होने से भारत में उनकी कीमत में इजाफा हो जाएगा। इंपोर्टेड कपड़ों, जूतों, घडिय़ों और मोबाइल फोन तक सब महंगा हो जाएगा।

क्या होता है फायदा
डॉलर के मुकाबले रुपए के गिरने के सिर्फ नुकसान ही नहीं बल्कि फायदे भी होते हैं। रुपए में गिरावट आने से आईटी, फार्मा और ऑटो सेक्टर को फायदा होता है। इन कंपनियों की कमाई एक्सपोर्ट बेस्ड होती है, यानी इन्हें जो भी मिलता है डॉलर में मिलता है। जिसका फायदा देश को होता है। वहीं डॉलर की मजबूती से ओएनजीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसी कंपनियों को भी फायदा होता है क्योंकि ये डॉलर में फ्यूल बेचती हैं।