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ट्रेड वार में बिगड़े ड्रैगन के हालात, चीन की अर्थव्यवस्था को हो सकता है भारी नुकसान

अमरीका और चीन के बीच पिछले साल से ट्रेड वार चल रहा है और इस ट्रेड वार ( Trade War ) में चीन ( China ) को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा हाल ही में अमरीका ने चीनी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा दिया अमरीका के टैरिफ बढ़ाने से चीन की अर्थव्यवस्था को काफी खतरा है

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Shivani Sharma

May 18, 2019

china vs america

ट्रेड वार में बिगड़े ड्रैगन के हालात, चीन की अर्थव्यवस्था को हो सकता है भारी नुकसान

नई दिल्ली। अमरीका और चीन के बीच पिछले साल से ट्रेड वार चल रहा है और इस ट्रेड वॉर ( Trade War ) में चीन ( China ) को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। हाल ही में अमरीका ने चीनी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा दिया है, जिसके बाद से चीन के हालात काफी खराब हो रहे हैं। चीन के एक बड़े अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि अमरीका के साथ व्यापार युद्ध में चीन के सकल घरेलू उत्पाद ( GDP ) को एक फीसदी का झटका लग सकता है।


चीन की अर्थव्यवस्था को होगा नुकसान

आपको बता दें कि चीन ने पहली बार यह बात स्वीकार की है कि अमरीका के टैरिफ बढ़ाने से चीन की अर्थव्यवस्था को काफी खतरा है। चीन ने कहा कि ट्रेड वॉर के कारण हमारी अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है। हांगकांग की मीडिया से मिली जानकारी के अऩुसार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ( सीपीसी ) के शीर्ष पोलित ब्यूरो की सात सदस्यीय स्थायी समिति के सदस्य वांग यांग के हवाले से कहा गया है कि चीन-अमरीका के बीच जारी ट्रेड वार से चीन की आर्थिक वृद्धि एक फीसदी नीचे आ सकती है।


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रिपोर्ट में हुआ खुलासा

रिपोर्ट के मुताबिक वांग ने चीन में कारोबार कर रहे ताइवानी कारोबारियों के एक समूह के साथ गुरुवार को बातचीत के बातचीत में ट्रेड वार से हुए नुकसान की बात स्वीकार किया था। वांग ने उनसे कहा कि एक साल से चल रहे इस विवाद पर सरकार का आकलन है कि सबसे प्रतिकूल परिस्थिति में जीडीपी अनुमानित स्तर से एक फीसदी कम हो सकती है।


पिछले साल चीन की आर्थिक वृद्धि में आई गिरावट

हालांकि, उन्होंने इस बात पर कोई चर्चा नहीं कि इस स्थिति से निपटने के लिए चीन की योजना क्या है। बता दें कि पिछले साल चीन की आर्थिक वृद्धि दर गिरकर 6.8 फीसदी पर आ गई थी। सरकारी अनुमानों के अनुसार, इस साल यह 6.5 फीसदी से 6 फीसदी के बीच रह सकती है। इस बयान की महत्ता इससे समझे जा सकती है कि यह समिति ही एक तरह से चीन पर नियंत्रण करती है।

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