
17 lakh businessmaan affected from Delhi riots
नई दिल्ली। दिल वालों की कहे जानी वाली दिल्ली का बुरा हाल है। CAA विरोध के नाम पर हो रहे हिंसा ने दिल्ली के एक हिस्से की हालत खराब कर रखी है। 7.8 लाख करोड़ की जीडीपी वाली दिल्ली का एक ऐसा हिस्सा जहां देश भर से हर रोज 5 लाख से ज्यदा कारोबारी आते हैं। बीते 3 दिनों तक चली हिंसा में एक ओर जहां जनजीवन प्रभावित हुआ है वही करीब 17 लाख कारोबारियों पर भी असर हुआ है। बीते 3 दिन में ज्यादातर असंगठित क्षेत्र के कारोबार पूरी तरह से बरबाद हो चुके हैं। आपको बता दें कि दिल्ली के जिन हिस्सों में हिंसा हुई है वहां सबसे ज्यादा असंगठित कारोबारी रहते हैं। इस हिंसा से किसी का भला हुआ हो या बुरा लेकिन इन कारोबारियों और उनसे चलने वाले परिवार भी सकते में हैं कि आगे क्या होगा।
दिल्ली आने से लगता है डर
गांधी नगर के टेक्सटाइल कारोबारी दीपक ढींगरा ने पत्रिका को बताया कि दंगो के 3 दिन में हमारा कारोबार बुरी तरह चरमरा गया है। बीते तीन दिनों हमारा कारोबार 50 फीसदी तक गिर चुका है। क्योंकि दिल्ली के बाहर से आने वाले कारोबारी दिल्ली आने से डर रहे हैं। हम खुद ही कारोबारियों को मना कर रहे हैं कि ऐसे माहौल में दिल्ली आना बेहतर नही है। ढींगरा के मुताबिक पुरानी दिल्ली के सीलमपुर, गांधी नगर, गोकुलपुरी, मौजपूर, बाबरपूर समेत जो इलाके दंगे से पभावित है उनमें करीब 17 लाख कारोबारी आते हैं। अकेले गांधी नगर मार्केट की बात करें तो यहां हर रोज करीब 10 लाख कारोबारियों का व्यापार होता है।
5 लाख कारोबारियों का दिल्ली आना बंद
दिल्ली में हुई हिंसा ने व्यापार को बुरी तरह प्रभावित किया है । कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने पत्रिका को बताया कि दिल्ली में प्रति दिन अन्य राज्यों से लगभग 5 लाख व्यापारी सामान ख़रीदने आते हैं लेकिन वर्तमान हालात के चलते और सोशल मीडिया पर चल रहे ग़ैर ज़िम्मेदारना खबरों ने अन्य राज्य के व्यापारियों को दिल्ली आने आशंकित कर दिया है जिसके चलते अन्य राज्यों के व्यापारी फ़िलहाल दिल्ली नहीं आ रहे और दिल्ली के व्यापार का बड़ा हिस्सा दैनिक व्यापार से महरूम हो गया है ।
कपड़ा, टेलिकॉम समेत ये कारोबार हुए प्रभावित
सस्ते कपड़ों के लिए पूरे देश में जाने मैन्युफैक्चरिंग हब कहे जाने वाले सीलमपुर, जाफराबाद, मौजपुर, मुस्तफाबाद पर हिंसा का असर सबसे ज्यादा दिखा। इन इलाकों में गारमेंट और अक्सेसरीज बनाने वाली करीब एक लाख इंडस्ट्रीज हैं। इसके अलावा शाहीन बाग में हुए CAA विरोध के बाद से दिल्ली में करीब 60% टूरिस्ट कम आए थे और टेलिकॉम, ई-कॉमर्स सहित कई सर्विसेज को भी करोड़ों का नुकसान हुआ था।
4000 करोड़ के कारोबार पर असर
फूड सिक्योरिटी और सस्टेनेबल एग्रीकल्चर फाउंडेशन के कनवेनर विजय सरदाना ने पत्रिका को बताया कि दिल्ली के जिन इलाकों में दंगा हुआ है वहा बड़ी संख्या में एमएसएमई कारोबार फैला हुआ है, जो करीब 3 से 4000 करोड़ का है। सरदाना का कहना है कि देश का असंगठित सेक्टर ही हमेशा पिसा जाता है। पहले नोटबंदी ने इनका जीना दूभर हो गया, फिर जीएसटी की मार ने इनकी हालत खराब की, फिर दिल्ली की सिलिंग में छोटे कारोबारियों की दुकाने छिन गई और अब इन दंगों से इनका कारोबार प्रभावित हो रहा है। सरदाना का कहना है कि दंगा किसी भी इकोनॉमी के लिए अच्छा नही होता है।
आपके पैसे को दंगे के नाम पर बहाना कितना जायज
सरकार कोई भी हो वो समाज के विकास के लिए काम करती है और अपने बजट में उसके लिए खर्च भी तय करती है ताकि समाज को फायदा मिल सके। दिल्ली दंगो में बसे चलाई गई, पेट्रोल पंप फूंके गए, सरकारी चीजों को नुकसान पहुंचाया गया। लेकिन क्या आपको पता है कि जिन चीजों को दंगे के नाम पर स्वाहा कर दिया गया उन मदों पर सरकार कितना खर्च करती है। दिल्ली के असंगठित इलाकों के विकास के लिए दिल्ली सरकार साल 2019-20 के लिए ने 995 करोड़ रुपए का बजट रखा है। वही ट्रांसपोर्ट सर्विस के लिए सरकार का खर्च 5017 करोड़ रुपए है। इसलिए दंगा करने से पहले हमे सोचना चाहिए कि क्या हम सही कर रहे हैं, क्योंकि आखिरकार हम अपना ही नुकसान कर रहे हैं।
Updated on:
28 Feb 2020 08:07 am
Published on:
27 Feb 2020 04:42 pm
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