
बजट में 1.7 लाख करोड़ रुपये का 'गड़बड़झाला', आखिर क्या छिपाना चाहती हैं वित्त मंत्री
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Nirmala Sitharaman ) द्वारा बीते हफ्ते पेश किए गए अपने पहले बजट ( Budget 2019 ) में सरकार की आमदनी को लेकर एक बड़ा झोल सामने आया है। करीब 1.7 लाख करोड़ रुपए की यह गड़बड़ी प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ( PMEC ) के सदस्य रथिन रॉय ने पकड़ी है।
4 जुलाई को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में प्रदर्शित वित्त वर्ष 2018-19 में सरकार का राजस्व संग्रह 15.6 लाख करोड़ रुपए बताया गया है, जबकि अगले दिन पेश किए गए आम बजट में संधोधित अनुमान के आधार पर 17.3 लाख करोड़ रुपए की राजस्व प्राप्ति बताई गई है। इस तरह बजट में बताई गई राशि आर्थिक सर्वेक्षण के मुकाबले 1.7 लाख करोड़ रुपए अधिक है। अगर देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के परिप्रक्ष्य में देखें तो बजट में प्रदर्शित राजस्व प्राप्ति का अनुमान जीडीपी का 9.2 फीसदी है, जबकि आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक यह केवल 8.2 फीसदी है।
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सरकार के खर्च में भी डेढ़ लाख करोड़ रुपये का अंतर
राजस्व के साथ ही बजट और सर्वेक्षण में सरकार के व्यय में भी अंतर दिखाई दे रहा है। बजट में 2018-19 में सरकारी खर्च 24.6 लाख करोड़ रुपए बताया गया है। आर्थिक सर्वेक्षण में पेश किए गए अधिक वास्तविक आंकड़े के मुताबिक यह रकम 23.1 लाख करोड़ रुपए रही। इस प्रकार दोनों राशियों में 1.5 लाख करोड़ रुपए का अंतर है। इस का कारण यह है कि बजट में 14.8 लाख करोड़ रुपए के कर संग्रह का अनुमान प्रदर्शित है, जबकि आर्थिक सर्वेक्षण में 13.2 लाख करोड़ रुपए का वास्तविक राजस्व संग्रह बताया गया है।
ये है बड़ी वजह
राजस्व के विवरण में 1.6 लाख करोड़ रुपए के इस बड़े अंतर की एक तकनीकी वजह बताई जा रही है। दरअसल बजट बनाने में संशोधित अनुमानों का इस्तेमाल किया जाता है। इस का आशय उस अनुमान से है, जितने की सरकार को उम्मीद है। दूसरी ओर आर्थिक सर्वेक्षण तैयार करने में वर्तमान अनंतिम आकलन का इस्तेमाल किया जाता है, जो कि वास्तविकता के ज्यादा करीब होता है।
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Updated on:
09 Jul 2019 08:49 pm
Published on:
09 Jul 2019 06:56 pm
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