नई दिल्लीPublished: Jul 31, 2018 03:03:01 pm
Saurabh Sharma
केंद्र सरकार ने 2017-18 मे लोक संपर्क और संचार ब्यूरो के माध्यम से इलेक्ट्रोनिक, प्रिंट और अन्य मीडिया में विज्ञापनों पर करीब 1313 करोड़ रूपए खर्च किए है।
देश के दो राज्यों की जीडीपी से भी ज्यादा है मोदी सरकार के विज्ञापन पर खर्च
नर्इ दिल्ली। कुछ दिन पहले शिव सेना के नेता उद्घव ठाकरे प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए कहा था कि वो देश की टैक्सपेयर जनता के रुपए को बर्बाद कर रहे हैं। अपने प्रचार में खर्च कर रहे हैं। जो नहीं होना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि वो अब तक चार हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर चुके हैं। अब मौजूदा समय में जो आंकड़ा सामने आया है वो उद्घव ठाकरे से कम है लेकिन चौंकाने वाला है। सबसे ज्यादा चौकाने वाली बात तो ये है कि मोदी सरकार का विज्ञापन पर यह खर्च देश के दो राज्यों की जीडीपी से भी ज्यादा है। आइए आपको भी केंद्र सरकार ने किस तरह से विज्ञापनों पर खर्च किए हैं…
पिछले साल के मुकबाले 64 करोड़ रुपए ज्यादा खर्च
केंद्र सरकार ने 2017-18 मे लोक संपर्क और संचार ब्यूरो के माध्यम से इलेक्ट्रोनिक, प्रिंट और अन्य मीडिया में विज्ञापनों पर करीब 1313 करोड़ रूपए खर्च किए है। जो पिछले साल के मुकाबले 64 करोड़ रुपए ज्यादा है। पिछले वित्त वर्ष में विज्ञापन में खर्च की राशि की बात करें तो वो करीब 1264 करोड़ रूपए थी। संसद में इस बात की जानकारी सूचना एवं प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने लिखित में दी है। आपको बता दें कि विज्ञापनों पर ज्यादा खर्च के मामले में पहले भी केंद्र सरकार घिर चुकी है।
कुछ इस तरह के हैं आंकड़े
– 2017-18 में प्रिंट माध्यम में 636.09 करोड़ रुपए विज्ञापन पर खर्च किए गए।
– श्रव्य-दृश्य माध्यम में 468.93 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।
– बाह्य प्रचार पर 208.55 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
– 2016-17 में प्रिंट माध्यम में 468.53 करोड़ रूपए विज्ञापन पर खर्च हुए हैं। – – श्रव्य-दृश्य माध्यम में 609.14 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
– बाह्य प्रचार पर 186.59 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।
– सूचना प्रसारण मंत्रालय ने 2016-17 में प्रसार भारती को 3132.68 करोड़ रुपए का अनुदान दिया।
– 2017-18 में यह अनुदान 2737.86 करोड़ रुपए था।
– 2018-19 के लिए यह राशि 694.02 करोड़ रूपए है।
अपनों का ही विरोध झेल रही मोदी सरकार
महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार चलाने वाली शिवसेना प्रचार अधिक खर्च करने के मामले केंद्र की मोदी सरकार की आलोचना कर चुकी है। उद्घव ठाकरे ने हाल ही में अपने बयान में कहा था कि प्रधानमंत्री ने अपने प्रचार पर चार हजार करोड़ रुपए से ज्यादा फूंक दिए। सरकार को करदाताओं के धन पर कोई अधिकार नहीं है। अब देखने वाली बात होगी कि सरकार इसमें कटौती करती है या फिर आैर बढ़ा देती है। क्योंकि अगले साल लोकसभा चुनाव भ्ज्ञी होने वाले हैं।
दो राज्यों की जीडीपी के मुकाबले खर्च
इन आंकड़ों में दिलचस्प बात देखने को मिली है। संसद में जो आधिकारिक आंकड़ा सामने आया है वो देश के दो राज्यों की जीडीपी से भी ज्यादा है। वैसे वो दोनों ही राज्य एक द्वीप ही हैं। लक्ष्यद्वीप आैर दमन आैर दियु। अगर लक्ष्यद्वीप की जीडीपी 1059 करोड़ रुपए है। जबकि दमन आैर दियु की जीडीपी 407 करोड़ रुपए है। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं केंद्र की मोदी सरकार विज्ञापन पर कितना खर्च कर रही है।