
भारत के इस कदम से करीब 200 देशों का पाकिस्तान से टूट जाएगा कनेक्शन
नई दिल्ली। पुलवामा हमले के बाद भारत जहां आतंकियों के साथ मुठभेड़ उन्हें मारने पर जुटा हुआ है। वहीं दूसरी ओर आतंकियों के शरणगाह पाकिस्तान को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। एमएफएन का दर्जा खत्म करने और पाक उत्पादों पर 200 फीसदी की कस्टम ड्यूटी लगाने के बाद अब भारत और बड़ी कार्रवाई कराने जा रहा है। अब भारत पाकिस्तान को पूरी दुनिया से अलग-थलग करने के मूड में हैं। अगर भारत का अगला कदम सटीक बैठता है तो दुनिया के करीब 200 देशों से भारत का कनेक्शन टूट जाएगा।
एफएटीएफ करवाएगा ब्लैक लिस्ट
जानकारी के अनुसार भारत दुनिया भर में आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ काम करने वाली संस्था फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स को डोजिएर सौंप ब्लैक लिस्ट कराने की मांग करेगा। खास बात ये है कि 17-22 फरवरी पेरिस में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की बैठक चल रही है। अगर संस्था पाक को ब्लैक लिस्ट कर देती है तो पाकिस्तान के लिए आर्थिक रूप से और ज्यादा संकट आ जाएगा। आपको बता दें कि यूरोनियन यूनियन पहले ही पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट कर चुका है। इससे पहले एफएटीएफ ने पाकिस्तान को 2012 से 2015 तक और पिछले साल ब्लैक लिस्ट में डाला था।
आखिर क्या करती है एफएटीएफ संस्था
एफएटीएफ की स्थापना 1989 में जी-7 देशों की पहल पर की गई थी। अब तक इस संगठन के सदस्यों की संख्या भारत समेत 37 हो चुकी है। यह संगठन मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग पर लगाम लगाने में नाकाम देशों की रेटिंग तैयार करती है। एफएटीएफ ग्रे और ब्लैक दो तरह की लिस्ट तैयार करता है। ग्रे लिस्ट के देशों के आर्थिक मदद के लिए कढ़े नियमों का पालन करना होता है। अगर नाम ब्लैक लिस्ट में होता है उसे आर्थिक सहायता मिलने के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं।
सभी आर्थिक मदद बंद कराने के मूड भारत
भारत चाहता है कि पाकिस्तान को वैश्विक रूप से मिलने वाली सभी आर्थिक मदद बंद कराने मूड में है। इसलिए भारत एफएटीएफ से संपर्क में है। जानकारी के अनुसार भारत एक डोजिएर के माध्यम से पाकिस्तान के खिलाफ सबूत सौंपेगा, जिससे यह साबित होगा कि पाकिस्तान टेरर फंडिंग के जरिए दुनिया में आतंक फैलाने वालों का साथ दे रहा है। आर्थिक संस्थाओं से मिलने वाली मदद से वो आतंकवादियों की मदद कर रहा है। अगर भारत पाकिस्तान को एफएटीएफ सेब्लैकलिस्ट कराने में कामयाब हो जाता है तो आईएमएफ, वल्र्ड बैंक, यूरोपीय संघ जैसे बहुपक्षीय कर्जदाता उसकी ग्रेडिंग कम कर देंगी। जिसके बाद दुनियाभर के देशों की ओर से आर्थिक सहायता मिलने का रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाएंगे।
Published on:
18 Feb 2019 01:32 pm
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