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GST Rates को लेकर हो सकते हैं बड़े फैसले, जानिए आम जनता पर क्या होगा असर

GST Rate में बड़े बदलाव के आसार, 4 की जगह 3 Slab रखने का विचार Slab में बदलाव से कई वस्तुओं की कीमतों में बदलाव आने की उम्मीद जुलाई में होने वाली Council Meeting में इस मामले में चर्चा के आसार

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Saurabh Sharma

Jul 04, 2020

GST Slab

नई दिल्ली। एक जुलाई को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स ( Goods and Service Tax ) यानी जीएसटी ( GST ) को तीन साल पूरे हो गए हैं और चौथा साल शुरू हो गया है। ऐसे में एक बार फिर से जीएसटी में रिफॉर्म ( GST Reform ) की बात शुरू हो गई है। जानकारों की मानें तो जीएसटी में इस साल बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। जिसमें से एक बदलाव ऐसा है जो आम आदमी की पॉकेट से जुड़ा हुआ है और वो है जीएसटी दर ( GST rates ) और स्लैब ( GST Slab ) में बदलाव। जल्द होने वाली जीएसटी काउंसिल की मीटिंग ( GST Council Meeting ) में जीएसटी दर और स्लैब के रेशनलाइजेशन पर चर्चा हो सकती है। खासकर उन प्रोडक्ट पर जिनपर इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर ( Inverted Duty Structure ) की समस्या पैदा होती है। सरकार के अनुसार इससे सालाना करीब 20 हजार करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ता है। वहीं देश के विनिर्माणकर्ताओं को भी काफी परेशानियों का भी सामना करना पड़ा है।

किनमें हो सकता है बदलाव
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो जल्द होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में इनवर्टेड ड्यूटी वाले आइटम्स की दरों में रद्दोबदल देखने को मिल सकता है। जिनमें फर्टिलाइजर्स, फ ुटवियर, टैक्टर, फार्मा, रेडिमेड गारमेंट्स, वाटर पंम्स, मेडिकल इक्विपमेंट आदि शामिल हैं। इन आइटम्स की वजह से देश की सरकार को टैक्स कलेक्शन में करीब 20 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होता है। इन सभ्भी सामानों की इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर प्रॉब्लम है। इसका मतलब ये है कि इनका इनपुट जीएसटी ज्यादा है और आउटपुट प्रोडक्ट पर जीएसटी कम लगता है। ऐसे कई सारे आइटम्स हैं जिन पर सरकार ज्यादा फोकस कर सकती है।

दो स्लैब को किया जा सकता है रेशनलाइजेशन
प्राप्त जानकारी के अनुसार जीएसटी काउंसिल टैक्स स्लैब को रेशनलाइजेशन पर भी विचार कर रही है। ये दो स्लैब है 12 फीसदी और 18 फीसदी। उसे रेवेन्यू न्यूट्रल वे के आसपास रखने की बात हो रही थी, जोकि 15.5 फीसदी के आसपास है। सरकार की ओर से इन तमाम बदलावों पर चर्चा कर रही है. आने वाले दिनों में इस पर प्रस्ताव बनाकर जीएसटी काउंसिल में पेश कर दिया जाएगा। ताकि जीएसटी काउसिंल में इस पर चर्चा कर स्लैब में बदलाव किया जा सके। आपको बता दें कि मौजूदा समय में जीएसटी स्लैब में 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी की दरें हैं। जिसे 8 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी करने पर विचार किया जा रहा है। यानी 5 और 12 फीसदी की दरों को खत्म करने की बात हो रही है। जिसकी वजह से कुछ सामानों की कीमतों में इजाफा होगा तो कुछ की कीमतों में कटौती देख्खने को मिलेगी।

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जून में हुआ था 90 हजार करोड़ से ज्यादा जीएसटी कलेक्शन
हाल ही मे जून के जीएसटी कलेक्शन से सरकार को काफी राहत मिली है। जून में सरकार को जीएसटी कलेक्शन 90 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का देखने को मिला है। वैये यह आंकड़ा कलेक्शन के हिसाब से अच्छा नहीं है। उसके बाद भी कोरोना वायरस की वजह से अप्रैल और मई में जीएसटी कलेक्शन को जोड़ दिया जाए तो भी एक लाख करोड़ रुपए नहीं हुआ था। यानी जून का कलेक्शन अप्रैल और मई के कलेक्शन के जोड़ के बराबर है। इसका मतलब ये हुआ कि देश एक बार फिर से पटरी पर लौटता हुआ दिखाई दे रहा है। आपको बता दें कि जून में जीएसटी कलेक्शन 90,917 करोड़ रुपए हुआ है। मई यह 62,000 करोड़ रुपए था और अप्रैल में सिर्फ 32,294 करोड़ रुपए ही जीएसटी कलेक्शन देखने को मिला था।