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बंदरगाह से आपके हाथों तक पहुंचते-पहुंचते 20 से 25 रुपए महंगा हो जाता है विदेशी प्याज, जानिए क्या है गणित

विदेशी प्याज की आवक से प्याज की कीमत में लगी लगाम, फिर भी 65 से 70 रुपए का है स्तर बंदरगाह से भारत के दूसरे राज्यों तक पहुंचने और फिर उपभोक्ताओं के घर तक आने में बढ़ती है कीमत

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Saurabh Sharma

Nov 02, 2020

Imported onion become costlier by 25 rs when reach your hand from port

Imported onion become costlier by 25 rs when reach your hand from port

नई दिल्ली। जब घरेलू स्तर पर प्याज की कमी पड़ जाए जो विदेशी प्याज ही एक सहारा बचता है। बीते दो सालों से भारत में कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। पिछली सर्दियों में भी घरेलू प्याज की आवक कम होने से कीमत 100 रुपए से 150 रुपए और ज्यादा हो गई थी। जिसके बाद विदेशी प्याज की वजह से कीमत में थोड़ी राहत मिली थी। इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है, लेकिन फिर भी प्याज की कीमत आम लोगों की पहुंच से थोड़ा दूर ही है। अब भी बाजारों में विदेशी प्याज 60 से 70 रुपए प्रति किलोग्राम पर है। वास्तव में विदेशी प्याज बंदरगाह पर उतरने और आम लोगों के घर तक पहुंचने में 20 रुपए से 25 रुपए तक महंगा हो जाता है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर इस पूरा गणित क्या है?

बंदरगाह पर पहुंचते ही कितने होते हैं प्याज के दाम
हॉर्टिकल्चर प्रोड्यूस एक्सपोट्र्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजित शाह के आंकलन के अनुसार आयातित प्याज का लागत मूल्य मुंबई पोर्ट पर करीब 40 से 45 रुपए प्रति किलो पड़ता है। इसमें जिस देश से प्याज मंगाई गई है उसका मूल्य तो ही है, साथ ही इसमें पानी के जहाज वो किराया भी शामिल होता है, जिसमें प्याज का एक देश से दूसरे देश का ट्रांसपोर्टेशन किया गया है। विदेशी प्याज बल्क में आती है, ऐसे में पूरे कैल्कुनेशन को प्याज की कीमत में जोड़ दिया जाता है, जिसके बाद पोर्ट पर उतरने के बाद प्याज की कीमत डिसाइड होती है।

पोर्ट से मंडियों तक पहुंचते ही बदलती है कीमत
उसके बाद दूसरा चरण शुरू होता है पोर्ट से मंडियों तक का। मुंबई पोर्ट से देश के दूसरे राज्यों में प्याज की भेजी जाती है। जिसका ट्रांसपोर्टेशन लागत भी काफी मायने रखता है। कौन का स्टेट मुंबई पोर्ट से नजदीक है। वो भी काफी अहम है। आजादपुर मंडियों के प्याज के आढ़तियों की मानें तो विदेशी प्याज ट्रकों के माध्यम से आती हैं। अगर मुंबई से दिल्ली के तक सफर की बात करें तो डीजल की मौजूदा कीमत के हिसाब से प्रति किलो प्याज पर ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा 10 से 15 रुपए प्रति किलो कम से कम पड़ता है। यानी मंडी में पहुंचते ही प्याज की कीमत 50 से 60 रुपए प्रति किलो तक हो जाती है।

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मंडी से खुदरा कारोबारी तक
उसके बाद विदेशी प्याज का सफर मंडी से खुदरा कारोबारी की दुकान और ठेले तक शुरू होता है। खुदरा कारोबारियों की मानें तो पहले ही प्याज काफी महंगा मिल रहा है। उसके बाद उसका ट्रांसपोर्टेशन अपने इलाके तक लेकर आने में खर्चा लगता ही है। अगर आजादपुर मंडी से मॉडल टाउन या फिर अशोक विहार तक की करें तो खुदरा कारोबार उसमें 5 रुपए प्रति किलोग्राम तक ट्रांसपोर्टेशन चार्ज वसूलते हैं। जिसके बाद खुदरा की दुकानों तक पहुंचने के बाद प्याज की कीमत 55 रुपए से 65 रुपए तक पहुंच जाती है।

उपभोक्ताओं को पड़ रहा 70 रुपए विदेशी प्याज
उपभोक्ताओं के हाथों में प्याज आते-आते 70 रुपए के आसपास हो जाता है। इसकी एक वजह यह भी है कि खुदरा कारोबारी इसमें मौजूदा समय में खूब मुनाफावसूली कर रहे हैं। मुनाफावसूली का मतलब मुनाफा कमा रहे हैं। जानकारों की मानें तो यह इलाके पर भी डिपेंड करता है। अगर दुकान वीवीआईपी इलाके में हैं तो प्याज की कीमत 75 रुपए प्रति किलो के आसपास भी मुमकिन है। वहीं साधारण इलाकों में प्याज की कीमत 65 रुपए से 70 रुपए प्रति किलोग्राम के आसपास भी है।

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स्थानीय आवक से कम होंगे प्याज के दाम
अजित शाह के अनुसार विदेशी प्याज आने से कीमतों में वृद्धि पर फिलहाल लगाम लग गया है, लेकिन प्याज के दाम में गिरावट तभी आएगी, जब नई फसल की आवक बढ़ेगी। अगर प्याज का आयात नहीं होता तो दाम आसमान चढ़ जाता। आजादपुर मंडी पोटैटो ऑनियन मर्चेट एसोसिएशन यानी पोमा के जनरल सेक्रेटरी राजेंद्र शर्मा ने बताया कि राजस्थान से प्याज की नई फसल की आवक होने लगी है। हालांकि, नई फसल की आवक अभी कम हो रही है।