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भारत ने RCEP समझौते से अलग रहने का निर्णय लिया, पीएम मोदी ने दी जानकारी

locationनई दिल्लीPublished: Nov 05, 2019 10:36:46 am

Submitted by:

Shivani Sharma

RCEP करार में शामिल नहीं होगा भारत
पीएम मोदी ने कहा कि चिंताएं नहीं हुईं दूर

PM Modi at ASEAN summit

नई दिल्ली भारत ने सोमवार को निर्णय लिया कि वह 16 देशों के आरसेप व्यापार समझौते का हिस्सा नहीं बनेगा। भारत ने कहा कि आरसेप समझौते का मौजूदा स्वरूप भारत के दीर्घकालिक मुद्दों और चिंताओं का संतोषजनक रूप से समाधान पेश नहीं करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरसेप शिखर सम्मेलन को यहां संबोधित करते हुए भारत की चिंताओं को रेखांकित किया और कहा, “आरसेप समझौते में शामिल होना भारत के लिए संभव नहीं है।”


मोदी ने दी जानकारी

मोदी ने कहा कि भारत ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रीय एकीकरण के साथ ही ज्यादा से ज्यादा मुक्त व्यापार और एक नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के अनुपालन के पक्ष में है। उन्होंने कहा, “भारत शुरुआत से ही आरसेप की वार्ताओं में सक्रिय, रचनात्मक और अर्थपूर्ण तरीके से जुड़ा रहा है। भारत ने लेन-देन की भावना में संतुलन बनाने के उद्देश्य के साथ काम किया है।”


आरसेप को लेकर हुई बातचीत

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आरसेप को लेकर शुरू हुई बातचीत के इन सात वर्षो में वैश्विक आर्थिक एवं व्यापार परिदृश्य सहित कई चीजें बदल गई हैं। हम इन बदलावों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। आरसेप समझौते का मौजूदा स्वरूप आरसेप की बुनियादी भावना और मान्य मार्गदर्शक सिद्धांतों को पूरी तरह जाहिर नहीं करता है। यह मौजूदा परिस्थिति में भारत के दीर्घकालिक मुद्दों और चिंताओं का संतोषजनक रूप से समाधान भी पेश नहीं करता।”


तीसरी बड़ी इकोनॉमी बनेगा

मोदी ने कहा, “भारतीय किसानों, व्यापारियों, पेशेवरों और उद्योगों की इस तरह के निर्णयों में हिस्सेदारी है। श्रमिक और उपभोक्ता भी समान रूप से महत्वपूर्ण हैं, जो भारत को एक विशाल बाजार और खरीदारी के मामले में तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाते हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा, “जब हम सभी भारतीयों के हित को ध्यान में रखते हुए आरसेप समझौते का आकलन करते हैं तो मुझे कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिलता। इसलिए न तो गांधीजी की तलिस्मान और न तो मेरी आत्मा ही आरसेप से जुड़ने की मुझे अनुमति देती है।”


2020 में समझौते पर हो सकते हैं हस्ताक्षर

15 देशों ने एक बयान में कहा कि उन्होंने सभी 20 अध्यायों और बाजार पहुंच से जुड़े सभी मुद्दों के लिए टेक्स्ड आधारित बातचीत पूरी कर ली है। उन्हें अब कानूनी पक्ष को अंतिम रूप देना है, ताकि 2020 में समझौते पर हस्ताक्षर हो सके।


बयान में दी जानकारी

आरसेप के बयान में कहा गया है, “भारत के काफी मुद्दे हैं, जिन्हें सुलझाया नहीं जा सका। आरसेप में भागीदार सभी देश इन लंबित मुद्दों को आपस में संतोषजनक तरीके से सुलझाने के लिए काम करेंगे। भारत का अंतिम निर्णय इन मुद्दों के संतोषजनक समाधान पर निर्भर करेगा।” सूत्रों के अनुसार, भारत सभी क्षेत्रों में वैश्विक प्रतिस्पर्धा के दरवाजे खोलने से भाग नहीं रहा है, लेकिन उसने एक परिणाम के लिए एक जोरदार रुख पेश किया, जो सभी देशों और सभी सेक्टरों के अनुकूल है।

भारत ने उस तर्क को भी खारिज कर दिया है कि उसने आरसेप में अंतिम क्षण में मांगे कर रहा है। सूत्रों ने कहा कि भारत का रुख इस मुद्दे पर प्रारंभ से ही स्थिर और स्पष्ट रहा है। सूत्रों के अनुसार, चीन के नेतृत्व वाले समझौते से न जुड़ने का भारत का निर्णय भारत के किसानों, एमएसएमई और डेयरी सेक्टर के लिए बहुत मददगार होगा।

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