script‘अब दिल्ली और चंडीगढ़ जैसा होगा कश्मीर का विकास’ | Kashmiri Migrants says Kashmir development will like Delhi Chandigarh | Patrika News

‘अब दिल्ली और चंडीगढ़ जैसा होगा कश्मीर का विकास’

Published: Aug 05, 2019 02:38:32 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

एनसीआर में रह रहे कश्मीरियों ने सरकार के प्रस्ताव का किया स्वागत
कहा, अब कश्मीर में विकास के विरोधियों की खुल जाएगी पोल

Kashmir

नई दिल्ली। 1989 और 1990 के वो साल आज भी उनकी जहन में ताजा हैं। जब उन लोगों को कश्मीर से अपना घर, पूंजी सब छोड़कर दिल्ली, मुंबई और दूसरे प्रदेशों एवं इलाकों में आना पड़ा। आज संसद में धारा 370 हटाने का प्रस्ताव संसद में पेश हुआ और गजट नोटिफिकेशन भी आ गया है। ऐसे में अब लगने लगा है कि कश्मीर का विकास भी दिल्ली, नोएडा और चंडीगढ़ जैसा सरीखा होगा। केंद्र सरकार के इस कदम का असर अलग दो महीनों में देखने को मिल जाएगा। यह बात उन कश्मीरियों ने कही, जिन्होंने अपना घर करीब 30 साल पहले कश्मीर से छोड़ा था। आपको बताते हैं कि सरकार के इस कदम के बाद से उनका क्या कहना है…

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दिल्ली और चंडीगढ़ जैसा होगा कश्मीर
1990 में श्रीनगर से नोएडा और दिल्ली की ओर अपने परिवार के साथ आए अशोक मानवति का कहना है कि सरकार का यह कदम कश्मीर को एक बार फिर से जिंदा कर देगा। अब कश्मीर के मूल लोगों को आगे बढऩे का मौका मिलेगा। सरकार की सभी योजनाओं का लाभ मिलेगा। वहीं समझदार कश्मीरी भी समझेंगे कि सरकार यह फैसला उन्हीं की भलाई के लिए है। उन्होंने आगे कहा कि कश्मीर का विकास अब दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे सरीखे शहरों की तरह होगा। इसका असर दो महीने में देखने को मिल जाएगा। लोगों को रोजगार के अवसर मिलेेंगे। वहीं अलगाववादियों के लिए स्पेस पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।

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स्थानीय व्यापार और टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा
1989 में श्रीनगर के बारामूला से आए रविंद्र का कहना है कि सरकार का यह कदम श्रीनगर के लोगों के हितों के साथ-साथ देश हित में है। जो इंडस्ट्रीज वहां पर प्रदेश सरकारों की वजह से नहीं जा रही थीं, अब वो लग सकेंगी। वहीं दूसरी ओर टूरिज्म इंडस्ट्री को बूस्ट मिलेगा। पिछले 25 सालों से श्रीनगर का टूरिज्म काफी डगमगाया हुआ है। शिकारा और हाउसबोट जैसे उद्योगों में दोबारा जान आएगी। वहीं श्रीनगर में देश के सभी लोगों की आवाजाही बढ़ेगी। वहीं दूसरी ओर श्रीनगर के लोगों के सामने अलगाववादियों की असल नियत सामने आएगी, जो उनके विकास के सबसे बड़े अड़चन हैं।

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