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दिल्ली और चंडीगढ़ जैसा होगा कश्मीर
1990 में श्रीनगर से नोएडा और दिल्ली की ओर अपने परिवार के साथ आए अशोक मानवति का कहना है कि सरकार का यह कदम कश्मीर को एक बार फिर से जिंदा कर देगा। अब कश्मीर के मूल लोगों को आगे बढऩे का मौका मिलेगा। सरकार की सभी योजनाओं का लाभ मिलेगा। वहीं समझदार कश्मीरी भी समझेंगे कि सरकार यह फैसला उन्हीं की भलाई के लिए है। उन्होंने आगे कहा कि कश्मीर का विकास अब दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे सरीखे शहरों की तरह होगा। इसका असर दो महीने में देखने को मिल जाएगा। लोगों को रोजगार के अवसर मिलेेंगे। वहीं अलगाववादियों के लिए स्पेस पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
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स्थानीय व्यापार और टूरिज्म को मिलेगा बढ़ावा
1989 में श्रीनगर के बारामूला से आए रविंद्र का कहना है कि सरकार का यह कदम श्रीनगर के लोगों के हितों के साथ-साथ देश हित में है। जो इंडस्ट्रीज वहां पर प्रदेश सरकारों की वजह से नहीं जा रही थीं, अब वो लग सकेंगी। वहीं दूसरी ओर टूरिज्म इंडस्ट्री को बूस्ट मिलेगा। पिछले 25 सालों से श्रीनगर का टूरिज्म काफी डगमगाया हुआ है। शिकारा और हाउसबोट जैसे उद्योगों में दोबारा जान आएगी। वहीं श्रीनगर में देश के सभी लोगों की आवाजाही बढ़ेगी। वहीं दूसरी ओर श्रीनगर के लोगों के सामने अलगाववादियों की असल नियत सामने आएगी, जो उनके विकास के सबसे बड़े अड़चन हैं।
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