
भारत में लड़ा गया दुनिया का सबसे महंगा चुनाव, अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव को भी पछाड़ा
नई दिल्ली। भारत का लोकसभा चुनाव 2019 दुनिया का सबसे महंगा चुनाव साबित हो गया है। सेंटर फाॅर मीडिया स्टडीज के अनुसार इस बार भारत में पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले दोगुना खर्च हो गया है। आंकड़ों की मानें तो लोकसभा प्रत्याशियों और चुनाव आयोग दोनों की ओर से कुल मिलाकर करीब 70 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। ताज्जुब की बात तो ये है कि यह चुनाव 2016 में अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव से करीब 25 हजार करोड़ रुपए महंगा है। आइए आपको भी बताते हैं कि सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की ओर से किस तरह के आंकड़े पेश किए हैं...
प्रत्याशियों और चुनाव आयोग ने किए कितने खर्च
सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की रिपोर्ट के अनुसार इस बार के चुनाव में प्रत्याशियों की ओर से करीब 60 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। जो 2014 लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Election ) के मुकाबले दो गुना है। जबकि चुनाव आयोग की ओर से करीब 10 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। जो पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है। यानि कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव में करीब 70 हजार करोड़ रुपए का आंकड़ा छू लिया है। इससे पहले सीएमएस की ओर से लोकसभा चुनाव का कुल खर्च का आंकड़ा 50 हजार करोड़ रुपए बताया था।
एक लोकसभा पर 100 करोड़ से ज्यादा का खर्च
इस आंकड़े को प्रत्येक लोकसभा सीट पर बराबर बांटकर देखें तो 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का बैठ रहा है। इस बार 542 लोकसभा क्षेत्रों पर चुनाव कराए गए। जिनमें 8000 से अधिक से अधिक कैंडिडेट्स के बीच मुकाबला देखने को मिला। जिनमें 303 लोकसभा सीटों पर अकेले बीजेपी और एनडीए को 358 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। जिसके बाद नरेंद्र मोदी को एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला।
अमरीका के चुनाव से महंगा चुनाव
2016 में जब अमरीकी प्रेसीडेंट का चुनाव हुआ था तो उसमें 45 हजार करोड़ रुपए के खर्च होने का अनुमान लगाया गया था। जिसे उस वक्त दुनिया का सबसे महंगा चुनाव माना गया था। उससे दो साल पहले 2014 में भारत में लोकसभा चुनाव हुआ था तो उसमें करीब 35 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए थे। जिसे भारत का सबसे महंगा चुनाव करार दिया गया था। अब भारत में लोकसभा चुनावों में 70 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए हैं तो इसे दुनिया का सबसे महंगा चुनाव कहा जा रहा है।
10 करोड़ से 10 हजार करोड़ तक
चुनाव आयोग के खर्च की बात करें तो 1952 से अब तक काफी फर्क आ चुका है। 1952 में चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव आयोग ( Election Commission ) ने 10 करोड़ रुपए खर्च किए थे। ताज्जुब की बात तो ये है कि 1957 और 1962 के लोकसभा चुनावों में क्रमश: 6 और 7 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। यानी पहले लोकसभा चुनावों ( Loksabha Elections )से भी कम। उसके बाद 1967 में 11 करोड़, 1971 में 12 करोड़ रुपए खर्च हुए। 1977 में थोड़ा बदलाव देखने को मिला। पहली बार इस चुनाव में पिछली बार से करीब दोगुना खर्च हुआ। 1989 के चुनाव में पहली बार चुनाव आयोग का खर्च 100 करोड़ के पार यानी 154 करोड़ रुपए चला गया। पहली बार 1996 के लोकसभा चुनाव का 500 करोड़ और 2004 के लोकसभा चुनाव में आयोग का खर्च 1000 करोड़ रुपए के पार गया था।
चुनाव आयोग के खर्च का इतिहास
| लोकसभा चुनाव | चुनाव आयोग का खर्च ( करोड़ रुपए में ) |
| 1951-1952 | 10 |
| 1957 | 6 |
| 1962 | 7 |
| 1967 | 11 |
| 1971 | 12 |
| 1977 | 23 |
| 1980 | 55 |
| 1984 | 82 |
| 1989 | 154 |
| 1991 | 359 |
| 1996 | 557 |
| 1998 | 666 |
| 1999 | 948 |
| 2004 | 1,016 |
| 2009 | 1,114 |
| 2014 | 3,870 |
विधानसभा चुनावों में कर्नाटक चुनाव ने तोड़ा था रिकॉर्ड
इससे पहले देश के विधानसभा चुनावों की बात करें तो कर्नाटक चुनाव को सबसे महंगा चुनाव बताया गया था। इस चुनाव में 10 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए थे। उसके बाद 2017 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में 5500 करोड़ रुपए खर्च आया था। वहीं गुजरात विधानसभा चुनावों में 2400 करोड़ रुपए के आसपास खर्च हुआ था।
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Updated on:
04 Jun 2019 08:36 pm
Published on:
04 Jun 2019 03:36 pm
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