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बजट में गांव, गरीब व किसान केंद्रबिंदु, बजट में खाली हाथ मीडिल क्लास

locationनई दिल्लीPublished: Jul 05, 2019 08:24:39 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

बजट में गांव, गरीब व किसानों पर सरकार का फोकस।
निर्मला सीतारमण के हाथों में ब्रीफकेस की जगह बहीखाता दिखा।

Nirmala Sitharaman

न्यू इंडिया में बदली परंपरा, ब्रीफकेस की जगह लाल फोल्डर लेकर पहुंची वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

नई दिल्ली। देश की पहली महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Nirmala Sitharaman ) बजट 2019-20 ( Budget 2019-20 ) पेश करने से ठीक पहले न्यू इंडिया में परंपरा बदलती नजर आईं। पारंपरिक तौर बजट पेश करने से पहले बजट से संबंधित कागजात को लाल ब्रीफकेस में ले जाया जाता है। लेकिन, शुक्रवार को वित्त मंत्री इस पारंपरिक ब्रीफकेस की जगह लाल फोल्डर के साथ नजर आईं। सुबह 9:10 पर निर्मला सीतारमण, वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर, वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग और मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम के साथ बजट के लाल फोल्डर के साथ दिखाई दीं।

https://twitter.com/hashtag/Budget2019?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw

बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री राष्ट्रपति से अनुमति ली। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का ये पहला बजट है। इससे लोगों को बहुत उम्मीदें हैं। बजट में सबसे ज्यादा निगाहें इनकम टैक्स पर होती हैं।

इसके पहले अंतरिम बजट में पीयूष गोयल ने टैक्स स्लैब में बदलाव किए बिना 5 लाख तक की आय टैक्स फ्री कर दी थी। उन्होंने टैक्स रिबेट बढ़ा दी थी। इस बार भी टैक्स पेयर्स की निगाहें नई वित्त मंत्री पर हैं। मोदी सरकार का लक्ष्य अगले 5 साल में भारत की इकोनॉमी को 5 ट्रिलियन डॉलर करने का है। वहीं सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य लेकर चल रही है।

लाल रंग के बहीखाते पर मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा, “बजट कागजात को लाल कपड़े में रखना भारतीय परंपरा का हिस्सा रहा है। यह गुलामी से निकलकर आधुनिक सोच को दर्शाता है। यह बजट नहीं बल्कि बहीखाता है।”

https://twitter.com/ANI/status/1146992155082317824?ref_src=twsrc%5Etfw

क्या है इस बजट से आम लोगों को उम्मीदें

जल संकट के लिए पैकेज: इस बार के बजट में जल संकट को कम करने के लिए मोदी सरकार कुछ खास कदम उठा सकती है। इस बार सरकार ने इसके लिए अलग मंत्रालय ‘जल शक्ति’ का गठन किया है। इस बार सरकार बजट के लिए एक अलग फंड बनाएगी, जिससे देश में बढ़ते जल संकट को रोका जा सके। 2001 में प्रति व्यक्ति 1,816 क्यूबिक मीटर पानी उपलब्धता थी जो 2025 में 1,340 और 2050 तक 1,140 क्यूबिक मीटर रह जाने की आशंका है।


ग्रामीण विकास के लिए हो सकती है पैकेज की घोषणा: इसके अलावा इस बार सीतारमण ग्रामीण इलाकों में खर्च को बढ़ाने के लिए फंड की घोषणा कर सकती हैं। इससे ग्रामीण इलाकों का भी अच्छा विकास हो पाएगा। किसानों के लिए ब्याज दरों में भी कमी की जा सकती है। इससे पहले अपने अंतरिम बजट में सरकार ने किसानों को 6 हजार रुपए सालाना देने की घोषणा की थी और वहीं मनरेगा के किसानों को भी सरकार ने 60 हजार करोड़ रुपए का आवंटन किया था।


कॉरपोरेट टैक्स पर हो सकती है घोषणा: बजट 2019 में सरकार कॉरपोरेट टैक्स पर भी घोषणा कर सकती है। इसके अलावा 25 फीसदी तक इसकी लिमिट भी बढ़ाई जा सकती है। फिलहाल जिनका टर्नओवर 250 करोड़ रुपए से कम है, उनपर 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स लागू है। तो जनता की मांग है कि इसको बढ़ाकर 500 करोड़ रुपए तक कर दिया जाए।


नए टैक्स लगाने की हो सकती है घोषणा: सरकार देश के राजस्व बढ़ाने के लिए कुछ नए टैक्सों की घोषणा भी कर सकती है। इसके अलावा अधिक आमदनी पर सरचार्ज भी लगाया जा सकता है। अब देखना ये होगा कि इस बार निर्मला सीतारमण टैक्स सिस्टम में क्या बदलाव करेंगी।


इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी रहेगा फोकस: इस बार सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए कुछ अच्छी घोषणा कर सकती हैं। मोदी सरकार सस्ते घर, शौचालय और जल संचय जैसे बड़े इंफ्रा प्रोजेक्ट पर फोकस कर सकती है, जिसका सीधा फायदा ग्रामीण और कम आय वाले लोगों को होगा। साथ ही रेलवे के आधुनिकीकरण, विद्युतीकरण, नई रेल लाइन बिछाने और यात्री सुरक्षा पर भी सरकार का फोकस रहेगा।


ऑटो सेक्टर को मिल सकती है राहत: भारत में ऑटो इंडस्ट्री की ग्रोथ में लंबे समय से गिरावट आ रही है। इस स्थिति में सरकार आटी सेक्टर पर लगाए जा रही जीएशटी को कम कर सकती है। इस इंडस्ट्री ने सभी वाहनों पर मौजूदा 28 फीसदी जीएसटी दर को घटाकर 18 फीसदी करने की मांग की है। जीएसटी घटने से वाहनों की बिक्री में तेजी आ सकती है। पिछले 11 महीनों से बिक्री में लगातार गिरावट आ रही है।


रोजगार को बढ़ाने के लिए उठाए जा सकते हैं खास कदम: देश में लंबे समय से बेरोजगारी दर बढ़ती ही जा रही है। इस बेरोजगारी को रोकने के लिए इस बार के बजट में सरकार कुछ खास घोषणाएं कर सकती हैं। रोजगार में वृद्धि के लिए काफी समय से अटके श्रम सुधारों को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसके अलावा स्टार्टअप्स को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। नियुक्तियों पर अधिक प्रोत्साहन और सरकारी नौकरी में इजाफे जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।

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