
नई दिल्ली। नेशनल और इंटरनेशल एजेंसियां इस बार भारत की दूसरी तिमाही की आर्थिक वृद्घि दर को 4.7 फीसदी अनुमानित कर रही थी। यहां आरबीआई भी 4.7 फीसदी के आसपास अनुमान लगा रहा था। लेकिन भारत सरकार के आंकड़ों से अनुमान से भी ज्यादा खराब आए हैं। जीडीपी के आंकड़ों से केंद्र सरकार को बड़ा झटका लगा है। आंकड़ों की मानें तो दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी 4.5 फीसदी पर आ गई है। इससे पहले पहली तिमाही में देश की जीडीनी 5 फीसदी आई थी। मतलब साफ है कि देश की जीडीपी 26 तिमाीहयों के निचले स्तर पर चली गई हैं। 2018 के मध्य से देश की जीडीपी दर में गिरावट देखने को मिल रही है। वहीं कुछ दिन पहले देश की वित्त मंत्री ने कहा था कि भले ही देश के आर्थिक आंकड़े फेवर में ना हों, लेकिन आर्थिक मंदी इसकी वजह बिल्कुल भी नहीं है।
26 तिमाीहयों के निचले स्तर पर देश की जीडीपी
जुलाई-सितंबर तिमाही का विकास दर 26 तिमाीहयों के निचले स्तर पर चला गया है। बाजार के जानकार मान रहे थे कि मौजूदा तिमाही का विकास दर 4.7 फीसदी रहेगा। लेकिन हकीकत इससे भी कम है। दरअसल उपभोक्ता मांग और निजी निवेश में कमी के कारण यह गिरावट दर्ज की गई है। दुनियाभर में मंदी ने भारत के निर्यात पर काफी असर डाला है। जून तिमाही में विकास दर 5 फीसदी रही थी, लेकिन सितंबर तिमाही में यह पिछली 26 तिमाहियों में सबसे कमजोर रहा है। 2018 की समान तिमाही में यह 7 फीसदी रही थी।
इंडस्ट्री के आंकड़े भी 6 फीसदी से नीचे
वहीं बात देश की इंडस्ट्री के आंकड़ों की करें तो 6 फीसदी से नीचे आ गए हैं। सरकार के आंकड़ों की बात करें तो कोर इंडस्ट्री अक्टूबर महीने में 5.8 फीसदी तक नीचे गिर गई है। देश की इंडस्ट्री की हालत काफी खराब हो चली है। ऑटो सेक्टर पूरी तरह धड़ाम है। वहीं बाकी इंडस्ट्री भी अच्छी स्थिति में नहीं है।
Updated on:
29 Nov 2019 09:31 pm
Published on:
29 Nov 2019 05:58 pm
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