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Railway ने बताया, श्रमिकों से कितना वसूला Fare, कितनी हुई कमाई

Shramik Trains के संचालन से रेलवे को हुई 360 करोड़ रुपए की कमाई प्रति श्रमिक से वसूला गया 600 रुपए Fare, विपक्ष ने लगाए थे आरोप

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Indian railway

Railways told how much fare charged from workers, how much earned

नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ( Indian Railway ) ने श्रमिकों ( Migrant Workers ) से ज्यादा किराया वसूलने के विवाद को अपने दिए आंकड़ों से विराम लगा दिया है। रेलवे ने साफ कर दिया है कि श्रमिकों से ज्यादा किराया ( Railway Fare ) नहीं वसूला गया। श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए केंद्र का किराए में योगदान 65 फीसदी रहा। प्रत्येक श्रमिक से औसतन 600 रुपए किराया लिया गया। जिससे रेलवे ( Indian Railway Earned ) को 360 करोड़ रुपए का राजस्व मिला। आपको बता दें कि देश में श्रमिक ट्रेनों ( Shramik Trains ) का संचालन 1 मई से शुरू किया गया था। इस दौरान रेलवे की ओर से अब तक 4,450 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाईं हैं।

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रेलवे बोर्ड ने जारी किया आंकड़ा
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने आंकड़ों को जारी करते हुए बताया कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन का औसत किराया 600 रुपए प्रति व्यक्ति रहा। उन्होंने कहा कि यह किराया मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों का नॉर्मल किराया है। जबकि स्पेशल ट्रेनों का किराया काफी ज्यादा होता है। इन ट्रेनों के माध्यम से इंडियन रेलवे की ओर से करीब 60 लाख लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने में मदद की। उन्होंने कहा इन ट्रेनों को चलाने में जितना खर्च हुआ उसका करीब 15 फीसदी ही रेलवे को मिला। जबकि 85 फीसदी राशि का इंतजाम केंद्र सरकार द्वारा ही किया गया।

एक स्पेशल को चलाने में होता इतना खर्च
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के अनुसार एक स्पेशल ट्रेन यानी श्रमिक ट्रेन के संचालन में करीब 75 से 80 लाख रुपए तक का खर्चा होता है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर प्रवासी मजबूरों को उनके घरों तक पहुंचा दिया गया है। ऐसे मजदूरों की संख्या काफी कम है जो अब अपने घरों को जाना चाहते हैं। इसके लिए राज्य सरकारों के कॉर्डिनेट कर रहे हैं। रेलवे की ओर से 3 जून तक उनकी जरूरत के हिसाब से ट्रेनों की मांग बताने के लिए कहा गया था। अब तक हमें 171 श्रमिक स्पेशल ट्रेन उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है।

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कब तक चलती रहेंगी ट्रेनें
रेलवे बोर्ड के अनुसार उन्होंने 14 जून तक 222 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का परिचालन किया है। सुप्रीम कोर्ठ के आदेश के बाद उनकी ओर से राज्य सरकारों से फिर से पूछा गया है कि उन्हें कितनी अतिािरक्त ट्रेनों की जरुरत है। उन्होंने साफ किया कि जब तक राज्यों की ओर से डिमांड आती रहेगी, तब तक ट्रेनों का संचालन होता रहेगा। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने दोहराया कि इन ट्रेनों का संचालन 85-15 प्रतिशत की केंद्र-राज्य भागीदारी पर किया गया है।