
RBI मौद्रिक समीक्षाः इन पांच अहम बातों पर रहेगी सबकी नजर, आपकी जेब पर हो सकता फैसला
नर्इ दिल्ली । आज(बुधवार) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआर्इ) की मौद्रिक समीक्षा बैठक का आखिरी दिन है। लगातार तीन दिन से चल रहे इस बैठक में केन्द्रीय बैंक कर्इ अहम फैसले ले सकता है, मसलन बैंकोें की तरफ से कर्ज कितना सस्ता होगा, वहीं रेपो रेट आैर रिवर्स रेपाे रेट पर भी फैसला लिया जाना हैं। आइए जानते हैं कि आरबीआर्इ की इस बैठक में किन पांच बातों पर बड़ा फैसला लिया जा सकता है।
मुद्रास्फीतिः पिछले बैठक के बाद अब तक खुदरा महंगार्इ दर अप्रैल में 4.6 फीसदी पर पहुंच गया है। इसके पहले मार्च में ये 4.28 फीसदी आैर फरवरी में 4.4 फीसदी था। कोर इनफ्लेशन दर भी पिछले छह माह में 5.9 फीसदी पर पहुंच गया है जो कि पिछले चार साल के अपने उच्चतम स्तर पर है। केन्द्रीय बैंक ने अपने अनुमान में कहा है कि माैजूदा वित्त वर्ष के पहले छह माह में सीपीआर्इ इंनफ्लेशन दर 4.7-5.1 फीसदी की बीच रह सकता है। वहीं दूसरे छह माह में ये कम होकर 4.4 फीसदी रह सकता है। पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में हुए भारी इजाफे, रुपए में कमजोरी, न्यूनतम समर्थन मूल्य आैर रेन्टल अलाउंस के कारण मुद्रास्फीति में खतरे का संकट मंडरा रहा है।
पाॅलिसी दरः अगर केन्द्रीय बैंक अपने पाॅलिसी दरों में कटौती करता है तो भविष्य में बैंकों की तरफ से कर्ज सस्ता करने की संभावना भी बढ़ जाएगी। इसके बाद आपको होमलोन व कारलोन पर कम र्इएमआर्इ देना होगा। वहीं यदि पाॅलिसी दरों को बढ़ाया जाता है तो भविष्य में ब्याज दरों में इजाफा होगा। एेसे में भविष्य में कर्ज भी हो सकता है। अपने पिछले बैठक में ही रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल अचार्य ने ये साफ कर दिया था कि वो अगली बैठक में अपना वोट दर में बढ़ोतरी के लिए ही करेंगे। वहीं चेतन घटे ने भी ने बढ़ते मुद्रास्फीति को लेकर चिंता जाहिर की थी। आरबीआर्इ के कर्इ अधिकारियों की इस बात पर सहमति के बाद एेसा हो सकता है कि दरों में बढ़ोतरी की जा सकती है।
वैश्विक परिदृश्यः अमरीका के उधारी में बढ़ोतरी आैर फेडरल रिजर्व के बैलेंसशीट सामने आने के बाद डाॅलर की तरलता में कमी देखने को मिल रही है। फाइनेंशियल टाइम्स को दिए गए एक इंटरव्यू में आरबीआर्इ गवर्नर उर्जित पटेल ने भी इस बात पर चिंता जताया था। वहीं पिछले दो माह में डाॅलर के मुकाबले रुपए में कुल 3.2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों का भी असर इसपर देखने को मिला है। एेसे में आरबीआर्इ इसको लेकर कोर्इ बड़ा फैसला ले सकती है।
बैंकिंग सेक्टरः इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि आरबीआर्इ गवर्नर उर्जित पटेल बैंकाेें को लेकर भी कुछ फैसला ले सकते हैं। इस बैठक के बाद पब्लिक सेक्टर बैंकों के प्रदर्शन आैर लगातार बढ़ रहे फंसे कर्ज को लेकर भी उनकी राय पर नजर रहेगी। वित्तीय संस्था क्रिसील ने अपने एक रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 18 में देश के सभी बैंकों पर फंसा कर्ज (एनपीए) बढ़कर 10.3 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा।
Updated on:
06 Jun 2018 11:24 am
Published on:
06 Jun 2018 11:13 am
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