
वित्त आयोग आज से चार दिवसीय दौरे पर
नई दिल्ली।भारतीय रिजर्व बैंक ने राज्यों के राजकोषीय घाटे में वृद्धि के खतरे को लेकर आगाह किया है। आरबीआई का कहना है कि कृषि कर्ज माफी, आय समर्थन योजना तथा बिजली वितरण कंपनियों से जुड़े उदय बांड के बोझ से राज्यों का घाटा बढ़ सकता है। केंद्रीय बैंक के मुख्यालय में आरबीआई के शीर्ष अधिकारियों तथा 15वें वित्त आयोग के सदस्यों की बुधवार को बैठक के दौरान केंद्रीय बैंक की ओर से यह बात कही गयी। बैठक में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास और रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर शामिल हुए।
लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार व कुछ राज्यों ने कई योजानआों की घोषणा की थी
पीआईबी ने एक बयान में कहा कि आरबीआई ने वित्त आयोग के समक्ष विशेष रूप से उन कारकों को रखा जिससे 2018-19 के संशोधित अनुमान में राजकोषीय घाटा बढ़ेगा। इन कारकों में उदय योजना तथा कृषि कर्ज माफी एवं आय समर्थन योजनाएं शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि आम चुनावों से पहले केंद्र सरकार के साथ कुछ राज्यों ने किसानों, गरीब और वंचित तबकों के लिये कुछ राहत योजनाओं की घोषणा की। विभिन्न क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन को देखते हुए भाजपा शासित राज्यों के साथ राज्य में हाल में चुनी गयी कांग्रेस सरकार ने कर्ज माफी समेत अन्य योजनाओं की घोषणा की।
वित्त पर दबाव बढऩे की आशंका
राजकोषीय स्थिति के हिसाब से इसे खराब कदम बताते हुए केंद्रीय बैंक ने कहा कि इससे वित्त पर दबाव बढ़ेगा और अंतत: घाटा बढ़ेगा। इसमें यह भी कहा कि राजस्व प्राप्ति के प्रतिशत के रूप में ब्याज भुगतान में कमी के बावजूद जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के प्रतिशत के रूप में बकाया कर्ज बढ़ रहा है। इसके अलावा दास ने राज्य वित्त आयोग के गठन, सार्वजनिक क्षेत्र में कर्ज तथा वित्त आयोग को बनाये रखने की जरूरत पर भी बल दिया। दिसंबर में रिजर्व बैंक का गवर्नर बनने से पहले दास वित्त आयोग के सदस्य थे।
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Updated on:
10 May 2019 08:47 am
Published on:
10 May 2019 08:42 am
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