8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अब कर्ज लेना होगा सस्ता, RBI ने 0.25 फीसदी घटाई ब्याज दरें

आरबीआई एमपीसी ने नीतिगत ब्याज दरों में की 25 आधार अंकों की कटौती। रेपो रेट 6 फीसदी से घटकर 5.75 फीसदी हुआ। जीडीपी प्रोजेक्शन को भी 7.2 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी किया।

2 min read
Google source verification
RBI

लगातार तीसरी बार RBI ने घटाई ब्याज दरें, 0.25 फीसदी की कटौती का लिया फैसला

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस साल की तीसरी मौद्रिक समीक्षा नीति बैठक में एक बार फिर रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती कर दी है। इसके साथ ही रेपो रेट अब 6 फीसदी से घटकर 5.75 फीसदी के स्तर पर आ गया है। इसके पहले 2019 में अन्य बैठकों में भी आरबीआई ने ब्याज दरों में 25-25 आधार अंक की कटौती की थी। रिवर्स रेपो रेट व बैंक रेट को भी एडजस्ट करते हुए 5.5 फीसदी कर दिया गया है, जोकि पहले 6 फीसदी था। आरबीआई ने अपने फैसले में नीतिगत रुख को भी सामान्य से बदलकर उदार कर दिया है।

आरबीआई ने अपने फैसले में नीतिगत रुख को भी सामान्य से बदलकर उदार कर दिया है। आरबीआई MPC के सभी 6 सदस्य ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती करने के पक्ष में थे। बता दें कि रेपो रेट ही वो दर होता है जिस दर पर केंद्रीय बैंक अन्य कॉमर्शियल बैंकों को कर्ज देतो है। इस कटौती के बाद अब कॉरपोरेट व व्यक्तिगत कर्ज लेने वाले लोगों को फायदा मिलेगा। इसके साथ ही एमपीसी ने जीडीपी प्रोजेक्शन को भी 7.2 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया है।

आर्थिक ग्रोथ के अनुमान भी घटाया

एमपीसी ने वित्त वर्ष 2020 की पहली छमाही के लिए आर्थिक ग्रोथ को 6.4-6.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। वहीं, वित्त वर्ष 2020 की दूसरी छमाही के लिए 7.2-7.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। आरबीआई मौद्रिक समीक्षा बैठक के सभी सदस्यीय एक साथ इस बात पर सहमत हुए कि नीतिगत ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की जानी चाहिए। एमपीसी ने वित्त वर्ष 2020 की दूसरी छमाही के लिए खुदरा महंगाई दर के अनुमान को भी 3.4-3.7 फीसदी से घटाकर 3.0-3.1 फीसदी कर दिया है।

कमेटी ने कैश रिजर्व अनुपात ( CRR ) में बिना बदलाव किए ही 4 फीसदी पर बरकरार रखा है। बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपने बयान में कहा, "निवेश गतिविधियों में गिरावट और प्राइवेट कंज्म्प्शन ग्रोथ सामान्य रहना चिंता का विषय है।" बयान में आगे कहा गया कि ट्रेड वॉर की वजह से वैश्विक मांग में की आई है और इसे भारतीय निर्यात और निवेश पर भी असर पड़ा है। वहीं, हालिया महीनों में, खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में खपत में गिरावट आई है।