scriptआखिर सुपर रिच पर 40 फीसदी टैक्स लगाने के पीछे टास्क फोर्स ने क्या दिया तर्क? | Reason given by task force behind imposing 40 pc tax on super rich? | Patrika News

आखिर सुपर रिच पर 40 फीसदी टैक्स लगाने के पीछे टास्क फोर्स ने क्या दिया तर्क?

Published: Apr 27, 2020 08:22:20 am

Submitted by:

Saurabh Sharma

आईआरएस समूह ने कोविड 19 से लडऩे के लिए सीबीडीटी को दिए कई सुझाव
समूह ने कहा, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में सुपर रिच की होती है ज्यादा भागीदारी

Super Rich

Reason given by task force behind imposing 40 pc tax on super rich?

नई दिल्ली। इंडियन रेवेन्यु सर्विस एसोसिएशन ( Indian Revenue Service Association ) ने कोविड 19 ( Covid 19 ) से लड़ने के लिए सीबीडीटी ( CBDT ) को कई तरह के सुझाव दिए है। जिसमें सेस ( Cess ) और अतिरिक्त सरचार्ज ( Surcharge ) बढ़ाने के लिए भी कहा गया है। वहीं समूह ने सुपर रिच ( Super Rich ) पर 40 फीसदी टैक्स लगाने की बात कही है। अब सवाल ये है कि आखिर समूह पर सुपर रिच पर भारी भरकम टैक्स लगाने के लिए क्यों कहा? इसके पीछे की वजह क्या हो सकती है? क्या देश को आर्थिक संकट ( Economic Crisis ) से उबारने के लिए सुपर रिच लोगों का योगदान ज्यादा होता है? इसी तरह के तमाम वालों को लेकर आईआरएस समूह ( IRS Group ) की ओर से दिए फोर्स नाम के सुझाव पत्र में कई अहम तर्क भी दिए हैं। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर उन्होंने क्या कहा है।

आईआरएस समूह की ओर सौंपा गया है सुझाव पत्र
भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारियों के एक समूह ने कोरोना महामारी के दौरान कम हो चुकी आर्थिक गतिविधि और संग्रह के जवाब में राजस्व जुटाने के लिए धनी लोगों पर कर दर बढ़ाने, कोविड-19 सेस लगाने, एमएनसी पर सरचार्ज बढ़ाने जैसे कदम उठाने के सुझााव दिए हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को भेजे एक इस सुझाव पत्र को आयकर विभाग के 50 अधिकारियों के एक समूह ने मिलकर तैयार किया है।

सुपर रिच लोगों पर जिम्मेदारी ज्यादा
आईआरएस ऑफिसर्स एसोसिएशन ने कहा कि घर से काम करते हुए उन्होंने एक स्वस्थ, मजबूत और समृद्ध भारत को बनाने के लिए उन्होंने अपने सामूहिक ज्ञान, अनुभव, और प्रतिबद्धता का इस्तेमाल किया है। फोर्स नामक पत्र यद्यपि उनकी युवा ऊर्जा और आदर्शवाद को प्रदर्शित करता है, लेकिन यह कोविड-19 महामारी के वित्तीय विकल्प और जवाब के रूप में खड़ा होता है। अधिकारियों ने इस पत्र में कहा है कि तथाकथित सुपर रिच लोगों की व्यापक सार्वजनिक भलाई के प्रति अधिक जिम्मेदारी है।

सुपर रिच के पास पर्याप्त पूंजी
अधिकारियों के अनुसार उनके पास अन्य लोगों की बनिस्बत अधिक उच्चस्तर पर भुगतान करने के लिए क्षमता होती है, अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने में उनकी एक उच्च भागीदारी होती है, और उनकी मौजूदा संपत्ति का स्तर अपने आप में राज्य और उसकी जनता के बीच सामाजिक संबंध का एक उत्पाद होता है। उच्च आय वाले अधिकांश लोगों के पास अभी भी घर से काम करने की शानदार सुविधाएं हैं। धनी लोग अस्थायी झटके से उबरने के लिए अपनी पूंजी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसलिए आबादी के इस हिस्से पर दो वैकल्पिक तरीके के कर लगाए जा सकते हैं, और दोनों करों को एक सीमित, निर्धारित अवधि तक के लिए लगाया जा सकता है।

इस तरह के दिए गए हैं सुझाव
अधिकारियों ने सुझाव दिया है कि न्यूनतम एक करोड़ रुपये से ऊपर की कुल आय वालों पर सर्वोच्च कर स्लैब 40 प्रतिशत किया जाए या पांच करोड़ रुपये या इससे अधिक की संपत्ति वालों पर संपत्ति कर फिर से लगाया जाए। अंतर्राष्ट्रीय कराधान पर सुझााव दिया गया है कि अधिक आय कमाने वाली उन विदेशी कंपनियों पर सरचार्ज लगाया जाए, जिनका कोई ब्रांच कार्यालय या स्थायी प्रतिष्ठान भारत में है। आईआरएएस अधिकारियों ने एक कोविड राहत सेस का भी सुझाव दिया है। प्रस्तावित सरचार्ज की तरह सेस ज्यादा व्यापक आधार वाला है, क्योंकि यह हरेक करदाता से वसूला जाएगा।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो