महंगी होगी कच्चे तेल की खरीदारी
रुपए की गिरावट से भारत को जो सबसे बड़ा झटका लगेगा वो कच्चे तेल के बिल को लेकर होगा। पिछले पांच साल में कच्चे तेल के आैसत अायात की बात करें तो ये 5 फीसदी रहा है। इस हिसाब से 2018 कें अंत तक 3.6 फीसदी तक की बढ़ जाएगी। इसके साथ ही अब कच्चा तेल खरीदने के लिए भारत को पहले से अधिक रुपये खर्च करने होंगे। एेसे में घरेलू तेल विपणन कंपनियां भी पेट्रोलियम पदार्थों के दाम में इजाफा करेंगी। सबसे बड़ा असर डीजल के भाव में बढोतरी से देखने को मिलेगा।
महंगार्इ
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआर्इ) के अनुसार भारतीय रुपये में 5 फीसदी की गिरावट से महंगार्इ दर में करीब 20 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी देखने को मिलेगा। आरबीआर्इ की इसी गणित के हिसाब से देखें तो यदि इस साल के अंत तक रुपये में 14 फीसदी की गिरावट होती है तो महंगार्इ दर में 56 बेसिस प्वाइंट का इजाफा देखने को मिल।
बढ़ेंगी ब्याज दरें
अगर रुपये में लगातार गिरावट का दौर जारी रहा तो आरबीआर्इ को मजबूरन रेगुलेटरी ब्याज दर में भी बढ़ोतरी करना होगा। ब्याज दरों में बढ़ोतरी से खपत आैर खर्च पर नाकारात्मक असर देखने को मिलेगा। खपत आैर खर्च में भी गैप बढ़ता जाएगा। वित्त वर्ष 2014 में भी ब्याज दरों में लगातार तीन बार बढ़ोतरी के बाद निजी खपत एवं खर्च में 2 फीसदी का इजाफा हुआ था।