पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों पर लगा ब्रेक, 6 दिनों के बाद नहीं हुआ कोई इजाफा
सरकार ने 31 जनवरी को वित्त वर्ष 2016-17 के लिए जीडीपी के आंकड़ों को संशोधित किया और 7.1 फीसदी से 110 आधार अंक बढ़कर 8.2 फीसदी हो गया। इसी साल नोटबंदी की गई थी, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में जीडीपी की दर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 7.2 फीसदी रही।
फेसबुक पर लगा संवेदनशील स्वास्थ्य डेटा के खुलासे का आरोप, अब लगेगा अरबों डॉलर का जुर्माना
गर्ग ने कहा कि विकास दर में तेजी दो मुख्य क्षेत्रों में तेजी के कारण आई, जिसमें विनिर्माण और वित्तीय सेवाएं शामिल हैं, जबकि उत्पादन और खनन क्षेत्र में उतनी तेजी नहीं रही। इससे साफ है नोटबंदी के कारण तेजी वाले क्षेत्रों को सीधा लाभ मिला।
सरकार और देश का गणित बिगाड़ सकता है क्रूड ऑयल, आयात बिल हो सकता है दोगुना
गर्ग ने कहा, “संभव है कि बाकी क्षेत्रों में उतनी तेजी नहीं आई हो। क्योंकि विनिर्माण, खनन आदि क्षेत्रों के आंकड़ों का संशोधन नहीं किया गया।” नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि विकास दर के आंकड़ों में अभी और संशोधन हो सकता है और यह अभी और ऊपर जा सकता है, क्योंकि जीएसटी लागू हुआ था।