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सरकार और देश का गणित बिगाड़ सकता है क्रूड ऑयल, आयात बिल हो सकता है दोगुना

Published: Feb 19, 2019 08:52:00 am

Submitted by:

Saurabh Sharma

पेट्रोलियम मंत्रालय के पीपीएसी का अनुमान बढ़ सकता है आयात बिल
मौजूदा वित्तीय वर्ष में क्रूड ऑयल आयात बिल हो सकता है दोगुना
आयात बिल 130 अरब डॉलर रहने का अनुमान
कच्चे तेल के दाम और रुपए में गिरावट की वजह से लगाया अनुमान

Crude oil price

Crude oil price

नई दिल्ली। अभी तक देश की सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दाम में कट्रोल किया हुआ है। पिछले कुछ दिनों से क्रूड ऑयल के दाम बढऩे की वजह से पेट्रोल और डीजल के दाम में भी इजाफा हुआ है। उधर ओपेक देश एक बार फिर से क्रूड ऑयल के प्रोडक्शन में कटौती करने को तैयार बैठे हैं। लगातार रुपए में भी गिरावट देखने को मिल रही है। ये तमाम फैक्टर्स देश का वित्तीय गणित बिगाड़ सकते हैं। अनुमान है कि वित्त वर्ष 2019 में आयात बिल 20 फीसदी बढ़कर 130 अरब डॉलर हो सकता है, जोकि सरकारी एजेंसियों के पूर्वानुमान का दोगुना होगा।

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पेट्रोलियम मंत्रालय का अनुमान
पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) के अनुमान के अनुसार आयात बिल 2017-18 के 88 अरब डॉलर से 27 फीसदी बढ़कर 2018-19 में 112 अरब डॉलर हो जाएगा। यह अनुमान भारतीय बास्केट में कच्चे तेल की कीमत 57.77 डॉलर प्रति बैरल और डॉलर का विनिमय दर 70.73 रुपए प्रति डॉलर पर आधारित है। अब भारतीय बास्केट में कच्चे तेल का दाम 65 डॉलर प्रति बैरल और डॉलर का विनिमय दर 71 रुपए प्रति डॉलर हो गया है।

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रुपए में गिरावट और क्रूड के दाम बढ़े
मंत्रालय के एक पूर्व सचिव ने कहा कि कच्चे तेल के दाम में फिर मजबूती आई है और ब्रेंट क्रूड का दाम पिछले सप्ताह के मुकाबले सात फीसदी बढ़कर 66 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। वहीं, रुपए में गिरावट आई है। इसका साफ संकेत है कि वित्त वर्ष 2019 के आखिर में तेल की कीमतें अधिक रहने से तेल आयात का बिल ज्यादा हो जाएगा जो सरकार के अनुमान से काफी अधिक होगा। अगर तेल आयात का बिल 130 अरब डॉलर के स्तर के आसपास रहने पर यह वित्त वर्ष 2013 और वित्त वर्ष 2014 के स्तर के करीब होगा, जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम तकरीबन पूरे साल 100 डॉलर प्रति बैरल रहा था।

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पांच साल में तेल का बिल सबसे ज्यादा
इस प्रकार तेल का बिल वित्त वर्ष 2019 में मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा होगा और यह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दूसरे कार्यकाल के उच्च आयात बिल के करीब होगा, जब कच्चे तेल की कीमत करीब 140 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर चली गई थी।

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