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Supreme Court ने कहा, Moratorium Period के दौरान ब्याज पर ब्याज लेने का कोई तुक नहीं

Supreme Court ने इस मामले में RBI और Finance Ministry को दिया विचार करने का समय कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, अगर Moratorium देने का उद्देश्य ही पूरा नहीं हुआ तो कोई फायदा नहीं

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Supreme Court

SC said, no point in charge interest on interest during moratorium

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में मोराटोरियम पीरियड ( Loan Moratorium Period ) के दौरान ब्याज पर ब्याज ( Interest on Interest ) देने का मामला अब लंबा ही होता जा रहा है। वैसे सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि मोराटोरियम के दौरान कर्ज की किस्तों ( Loan EMI ) पर ब्याज पर ब्याज वसूलने का कोई तुक नहीं बनता है। मोराटोरियम राहत के लिए है। अगर इस दौरान आम लोगों को राहत ही नहीं मिलेगी तो मोराटोरियम का उद्देश्य ( Moratorium Purpose ) ही पूरा नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने वित्त मंत्रालय ( Finance Ministry ) से भी कहा कि इस पूरे मामले को कुछ बैंकों पर ना छोड़कर खुद कोई स्टैंड ले। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने आरबीआई ( rbi ) और फाइनेंस मिनिस्ट्री को अगस्त के पहले सप्ताह तक का वक्त दे दिया है। वहीं भारतीय बैंक संघ ( Indian Banks Association ) को सााफ कर दिया है कि अगर इस बीच संघ मोराटोरियम को लेकर कोई दिशा निर्देश लेकर आना चाहे तो ला सकता है।

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सरकार की ओर से रखा गया पक्ष
पूरे मामले में सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि वित्त मंत्रालय ब्याज माफी का विरोध करती है। सरकार के अनुसार बैंकों को लोगों के जमूा रुपए पर ब्याज भी देना होता है। ऐसे में ब्याज माफ करना मुमकिन नहीं है। इससे बैंक वित्तीय संकट में आ सकते हैं। वहीं सेविंग अकाउंट होल्डर्स के हितों की रक्षा नहीं हो पाएगी। बैंकों के अनुसार ब्याज माफी की मांग बचकाना है। इसका दूसरा पहलू भी देखना काफी जरूरी है।

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आखिर क्या है पूरा केस?
कोरोना वायरस लॉकडाउन को देखते हुए आरबीआई ने 27 मार्च को सर्कृलर जारी करते हुए बैंकों को तीन महीने का लोन मोराटोरियम दिया था। 22 मई को आरबीआई ने ने 31 अगस्त तक के लिए इस मोराटोरियम को और तीन महीने के लिए आगे बढ़ा दिया। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई कि बैंक ईएमआई पर मोहलत देने के साथ ब्याज ले रहे हैं। जो पूरी तरह से गैर-कानूनी है।