
These 5 reasons will give dollar height with US Presidential election
नई दिल्ली। बुधवार को यूएस प्रेसीडेंशियल इलेक्शन उम्मीदवार के तौर डोनाल्ड ट्रंप और बिडन का आमना-सामना हुआ और अपनी बातों को सामने रखा। जिसका असर असर डॉलर पर देखने को मिला। कल के बाद डॉलर में तेजी देखने को मिल रही है। मौजूदा समय में डॉलर में मजबूती देखने को मिल रही है और इंडेक्स 94 के स्तर को पार कर गया है। जानकारों की मानें तो यूएस प्रेसीडेंशियल इलेक्शन के अलावा कई कारण हैं जो आने वाले दो महीने में डॉलर को मजबूत बना सकते हैं। पहले बात करते हैं कि आखिर इस साल डॉलर की क्या स्थिति रही है।
इस साल डॉलर की स्थिति
अगर बात पूरे नौ महीनों की करें तो डॉलर में बड़े ही उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। 23 मार्च 2020 को डॉलर इंडेक्स 104 के स्तर को पार गया था, जोकि अब तक का सबसे उंचा स्तर है। उसके बाद कोरोना वायरस ने अपना असर यूएस और दुनिया की बाकी इकोनॉमी में डालना शुरू कर दिया और डॉलर में लगातार गिरावट देखने को मिली। सितंबर तक आते-आते डॉलर 104 से 91.73 के स्तर पर आ गया। जो कि तीन सालों का सबसे निचला स्तर था। यह 52 हफ्तों का लोन भी कहा जा रहा है। लेकिन अब जैसे प्रेसीडेंशियल इलेक्शन नजदीक आने शुरू हुए हैं और अक्टूबर ने दस्तक दे दी है, रिकवरी आती हुई दिखाई दे रही है। मौजूदा समय यानी दोपहर 2 बजकर 50 मिनट पर डॉलर इंडेक्स 94 के स्तर को पार गया गया है। जिसके दिसंबर तक 97 से 98 तक पहुंचने आसार दिखाई दे रहे हैं।
प्रेसीडेंशियल इलेक्शन का असर
मौजूदा समय में डॉलर में रिकवरी का कारण हैं प्रेसीडेंशियल इलेक्शन और उसमें दोनों उम्मीदवारों के बीच बहस। जोकि अमरीकी नागरिकों के लिए काफी फायदेमंद होती है, ताकि वो डिसाइड कर सकें कि उन्हें किस राष्ट्रपति उम्मीदवार का चयन करना है। साथ दुनिया के सबसे शक्तीशाली देश केे राष्ट्रपति का चुनाव कोविड काल में होना यही दर्शता है कि अब दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति कोरोना वायरस को पीछे छोड़ती हुई दिखाई दे रही है। जिसका डॉलर पर पॉजिटिव असर देखने को मिल रहा है।
यूएस इकोनॉमिक डाटा और जीडीपी रिकवरी
वहीं दूसरी ओर अमरीका के संभावित इकोनॉमिक आंकड़ें बेहतर देखने को मिल रहे हैं। जानकारों का कहना है कि चाहे वो मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ा आंकड़ा हो या फिर रोजगार और जीडीपी से जुड़ा। सभी के बेहतर आने की उम्मीद है। ऐसे में डॉलर में रिकवरी देखने को मिल रही है। आंकड़ों की मानें तो पीएमआई मैन्युफैक्चरिंग के 51 से ज्यादा रहने के आसार हैं। वहीं फेड भी नीतिगत दरों को जीरो के आसपास रखने की बात पहले ही कह चुका है। ऐसे में डॉलर को मजबूती के संकेत मिल रहे हैं।
फ्लैट होता कोविड ग्रोथ रेट कर्व
वहीं दूसरी ओर अमरीका में कोविड ग्रोथ रेट कर्व फ्लैट होता दिखाई दे रहा है। पहले जिस तरह से अमरीका में यह कर्व उपर की जो रहा था, अब वो फ्लैट की ओर बढ़ रहा है। यानी अब अमरीका में कोरोना केसों में बढ़ोतरी तेजी से नहीं हो रही है। यह बात भी डॉलर को सपोर्ट करती हुई दिखाई दे रही है। जानकारों की मानें तो जैसे कोविड ग्रोथ रेट कर्व फ्लैट से नीचे आता जाएगा, वैसे डॉलर में और मजबूती देखने को मिलती रहेगी।
नए केसों में आई कमी
कोरोना के नए केसों में लगातार कमी देखने को मिल रही है। भले की अमरीका ने 70 लाख का आंकड़ा छू लिया हो और 2 लाख से ज्यादा लोगों की मौत अमरीका में कोविड की वजह से हो गई हो, लेकिन अब डेली नए केसों की संख्या 43 हजार से 44 हजार के बीच आ गई है। जो कि भारत के मुकाबले आधी है। जबकि जुलाई में अमरीका में रोजाना कोविड केसों की संख्या 78 हजार से ज्यादा हो गई थी। इस वजह से डॉलर में मजबूती की ओर बढ़ रहा है।
दूसरा प्रोत्साहन पैकेज
वहीं दूसरी ओर अमरीकी सरकार दूसरे प्रोत्साहन पैकेज देने की तैयारी कर रही है। ऐसे में डॉलर को इसका भी बल मिल रहा है। इकोनॉमी और आम लोगों को राहत पहुंचाने के लिए दूसरे प्रोत्सान पैकेज की घोषणा को जल्द किया जा सकता है। आपको बता दें कि पहले प्रोत्साहन पैकेज के तहत 2000 अरब डॉलर की घोषणा की गई थी।
क्या कहते हैं जानकार?
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि डॉलर में तेजी के कई कारण बन रहे हैं। पहला तो प्रेसीडेंशियल इलेक्शन ही हैं। जहां सरकार ट्रंप कई तरह की घोषणाएं कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कोरोना का दबाव कम हुआ है साथ इकोनॉमिक आंकड़े भी थोड़े बेहतर हुए हैं। ऐसे में अगले दो महीने में स्थिति और सुधार देखने को मिल सकता है। उन्होंने कहा कि नवंबर और दिसंबर तक डॉलर इंडेक्स 97 से 98 तक आने के आसार हैं।
Published on:
30 Sept 2020 03:36 pm
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