क्या शुरू हो गया ट्रेड वॉर 2?
मसूद अजहर के पक्ष में चीन के वीटो करने से एक बार फिर से दुनिया के शक्तिशाली देशों में उथल-पुथल मच गई है। इसका कारण यह है कि अमरीका और चीन के बीच हाल ही में संबंध मधुर हुए हैं। सभी को इसी बात का यकीन था कि सुरक्षा परिषद में चीन मसूद अजहर के खिलाफ वोट करेगा। क्योंकि बाकी चार प्रमुख सदस्य भी मसूद अजहर के खिलाफ थे। अब मामला इसके विपरीत है। अमरीका चीन के खिलाफ हो गया है। वहीं बाकी सदस्य देशों ने भी चीन की आलोचना की है। ऐसे में अमरीका अपनी भड़ास चीन के प्रोडक्ट पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर निकाल सकता है। जिसका प्रतिकार चीन की ओर से भी होगा। मतलब साफ है कि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच दूसरा ट्रेड वॉर शुरू हो जाएगा।
अब बाकी देश भी हो सकते हैं शामिल
ट्रेड वॉर की आशंकाओं को इसलिए भी बल मिल रहा है कि अमरीका ने साफ कहा है कि इसका खामियाजा चीन को भुगतना होगा, जिसमें यूएनएससी के बाकी सदस्य भी उसका साथ देंगे। यानि फ्रांस, जर्मनी जो सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य हैं वो भी चीनी वस्तुओं का या तो बहिष्कार कर सकते हैं या इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा सकते हैं। एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता ने बताया कि फ्रांस, यूके और रूस भी अमरीका और भारत का साथ दे सकते हैं। जिसके तहत चीन के खिलाफ इंपोर्ट ड्यूटी को बढ़ाकर सबक सिखाया जा सकता है। वहीं अमरीका के मित्र देश जिसमें जापान, इजरायल, साउथ कोरिया, जर्मनी और यूरोपियन यूनियन के सदस्य देश इस ट्रेड वॉर में शामिल हो सकते हैं।
दुनिया के लिए खतरनाक साबित हो सकता है ट्रेड वॉर 2
अनुज गुप्ता ने इस बार के ट्रेड वॉर को दुनिया के लिए बाकी वॉर के मुकाबले ज्यादा खतरनाक बताया है। उनका कहना है कि इस बार अगर इतने बड़े स्केल पर ट्रेड वॉर शुरू हुआ तो दुनिया की इकोनॉमी के बड़ा खतरा साबित होगा। वैसे ही दुनिया की इकोनॉमी काफी धीमी चल रही है। आंकड़ों की मानें तो मौजूदा समय में ग्लोबल इकोनॉमी करीब 3.7 फीसदी है। अगर ट्रेड वॉर शुरू हुआ तो यह दर 3 फीसदी तक पहुंच सकती है। वैसे अर्थशास्त्रियों ने मौजूदा समय को देखते हुए 2019 की ग्लोबल इकोनॉमी की दर का 3.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है।