
ECONOMIC RELIEF PACKAGE
नई दिल्ली: जान है तो जहान है, सच तो यही है लेकिन जब लॉकडाउन ( CORONA LOCKDOWN ) लगाए जाने की घोषणा के साथ प्रधानमंत्री मोदी ( PM Narendra Modi ) ने इस वाक्य का इस्तेमाल किया तो जनता ने अपने आपको घर में बंद करने के साथ मान लिया कि मोदी है तो मुमकिन है। सभी घरों में कामकाज बंद कर इंतजार करने लगे कि प्रधानमंत्री कुछ ऐसा करेंगे जिससे जनता को राहत मिलेगी। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जनता आर्थिक पैकेज का इंतजार कर रही थी । जैसे-जैसे अमेरिका, जर्मनी और बाकी देशों में राहत पैकेज के ऐलान हो रहे थे लोगों को लग रहा था कि मोदी सरकार ( MODI GOVT ) भी ऐसे ही किसी पैकेज का ऐलान करेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को जब 20 लाख करोड़ के पैकेज ( ECONOMIC RELIEF PACKAGE ) का ऐलान किया तो गांव हो या शहर हर जगह रहने वाला इंसान खुश हो गया । सभी को लग रहा था कि इस बार तो मोदी सरकार जरूर उनको तत्कालिक राहत देगी जैसी बाकी देशों की सरकारों ने दी ( अमेरिका में प्रति नागरिक 1200 डॉलर डायरेक्ट बेनेफिट दिये गए है। ) रघुराम राजन से लेकर अभिजीत भट्टाचार्या जैसे बड़े-बड़े अर्थशास्त्री भी लोगों के हाथ में मदद देने की बात कर रहे थे । लेकिन जैसे-जैसे वित्त मंत्री एक के बाद एक प्रेस कांफ्रेसं कर रही थी । देखते ही देखते पैकेज पूरा खत्म हो गया लेकिन आम आदमी को राहत मिलती नजर नहीं । ऐसे में सवाल उठता है कि मोदी सरकार का पैकेज बाकी देश की सरकारों से अलग कैसे ?
क्यों हैं मोदी सरकार का पैकेज बाकी देश से अलग- दरअसल मोदी सरकार ने 20 लाख के पैकेज में जो भी कदम उठाएं हैं वो लॉंगटर्म के लिहाज से है जिसके चलते जनता को तत्कालीन राहत मिलती नजर नहीं आ रही है। प्रधानमंत्री मोदी ( pm modi ) ने आत्मनिर्भर भारत अभियान ( AATMNIRBHAR BHARAT ABHIYAN ) के तहत सारे फैसले लिये है जो फिलहाल तुरंत जनता को कोई फायदा देते नजर नहीं आ रहे हैं जबकि बाकी देशों में सरकार ने जनता के हाथ में डायरेक्ट पैसा दिया है। जिससे उनकी परचेजिंग पॉवर बढ़ी है। मोदी का पैकेज बाकी देशों से अलग कैसे है ये जानने के लिए आपको ये जानना होगा कि आर्थिक पैकेज होते कितने प्रकार के हैं।
कितने प्रकार के होते हैं आर्थिक पैकेज- आर्थिक पैकेज दो तरह के होते हैं. एक मॉनेटरी स्टिमुलस ( MONETORY STIMULOUS PACKAGE ) या मौद्रिक प्रोत्साहन होता है। वहीं दूसरे पैकेज को फिस्कल स्टिमुलस या राजकोषीय प्रोत्साहन कहा जाता है। मॉनेटरी स्टिमुलस या मौद्रिक प्रोत्साहन पैकेज के जरिए अर्थवय्वस्था में नकदी का प्रवाह ( CASH FLOW ) बढ़ाने का प्रयास किया जाता है इसके लिए लोन सस्ता करना, ब्याज दर में कटौती आती है। इसका बोझ सरकार नहीं बल्कि बैंकों पर पड़ता है।
वहीं फिस्कल स्टिमुलस ( FISCAL STIMULOUS PACKAGE ) या राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज के जरिए सरकार का फोकस ये होता है कि लोगों की जेब में अधिक से अधिक पैसे बचें। इसके लिए सरकार टैक्स रेट कम करने से लेकर खुद का कांट्रीब्यूशन बढ़ाने पर बल देती है इससे सरकार के खजाने पर बोझ पड़ता है।
मोदी सरकार ने कदम तो सारे उठाए है लेकिन पैकेज का ज्यादातर हिस्सा दीर्घकालीन अवधि में जाने के चलते इसका असर तुरंत नदारद है। मोदी सरकार ने ज्यादातर रकम किसानों और उद्यमियों को व्यापार बढ़ाने में मदद के तौर पर की है। जिसकी वजह से तत्काल हालात बदलते नजर नहीं आ रहे।
Published on:
16 May 2020 06:52 pm
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