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विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या में बीते पांच साल में 60 फीसदी का इजाफा

विलफुल डिफॉल्टर्स (willful defaulter) की संख्या में बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की ओर से एक सवाल के जवाब में संसद में जानकारी दी गई थी।

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Saurabh Sharma

Jun 25, 2019

Nirmala Sitharaman

विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या में बीते पांच साल में 60 फीसदी का इजाफा

नई दिल्ली।विलफुल डिफॉल्टर्स ( willful defaulter ) की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। संसद ( parliament ) में दी गई जानकारी के अनुसार पिछले पांच साल में विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या में करीब 60 फीसदी का इजाफा हुआ है। एक लिखित जवाब में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Nirmala Sitharaman ) की ओर से जवाब दिया गया कि बीते पांच साल में विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। वहीं विलफुल डिफॉल्टर्स पर कार्रवाई करने के अलावा उनसे वसूली भी की गई है।

बीते सालों का कुछ ऐसा है लेखा जोखा
निर्मला सीतारमण द्वारा दिए लिखित जवाब के अनुसार विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या में पिछले पांच सालों में मार्च 2019 तक 60 फीसदी से भी ज्यादा बढ़कर 8,582 हुई है। सीतारमण के जवाब के अनुसार 2014-15 में विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या 5,349 थी। जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में यह आंकड़ा 6,575 तक पहुंच गया। वहीं वित्त वर्ष 2016-17 में 7,079 और वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर 7,535 पर पहुंच गया। वित्त मंत्री के अनुसार इसकी संख्या में लगातार इजाफा हुआ है।

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बीते पांच सालों में विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या में इजाफा





























वित्त वर्षविलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या
2014-155,349
2015-166,575
2016-177,079
2017-187,535
2018-198,582

यह हुई कार्रवाई
बीते पांच साल में विलफुल डिफॉल्टर्स पर कार्रवाई की बात करें तो ऐसे डिफॉल्टर्स से 7,654 करोड़ रुपए की रकम वसूली गई है। बैंकों द्वारा दिए आंकड़ों की मानें तो वित्त वर्ष 2018-19 तक वसूली के 8,121 मामले लंबित थे। वहीं दूसरी ओर सिक्यॉर्ड ऐसेट्स मामलों में 6,251 केसों में सारफेसी एक्ट में कार्रवाई शुरू हुई है। वहीं आरबीआई निर्देशों के अनुसार 2,915 मामलों में एफआईआर दर्ज भी की गई है। आपको बता दें कि देश में मौजूदा समय में 17 सरकार बैंक हैं।

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हो रही है कार्रवाई
संसद में दिए निर्मला सीतारमण के बयान के अनुसार विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। आरबीआई की गाइडलाइंस के अनुसार विलफुल डिफॉल्टर्स को किसी बैंक या वित्तीय संस्था से कोई राहत नहीं मिली हुई है। डिफॉल्टर को पांच सालों के लिए कोई दूसरी यूनिट लगाने पर पाबंदी लगाई गई है। वहीं दिवाला एवं दिवालिया संहिता, 2016 का इस्तेमाल करते हुए विलफुल डिफॉल्टर्स को दिवाला निस्तारण प्रक्रियाओं में हिस्सा लेने से रोका गया है।

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