आखिर क्या है नियम?
ईपीएफ नियमों के अनुसार सैलरीड लोगों को अपनी सैलरी और डियरनेंस अलाउंस की 12 फीसदी रकम प्रोविडेंट फंड में जमा करना होता है। इंप्लॉयर को भी उतना ही रुपया फंड में जमा कराना होता है। जिसके बाद इस रकम को रिटायरमेंट के बाद ही निकाला जा सकता है। वैसे पीएफ के रुपयों को रिटायरमेंट से पहले भी निकाला जा सकता है, जिसके लिए अकाउंट होल्डर कुछ शर्तों को पूरा करना होगा। पीएफ अकाउंट पर अकाउंट होल्डर को कंपाउंडिंग के आधार पर ब्याज दिया जाता है। इसी वजह से कुछ ही सालों में पीएफ रुपए की रकम काफी बड़ी हो जाती है।
बीच में रुपया निकालने कितना होता है नुकसान
इस नुकसान को एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं। अगर आपके रिटायरमेंट में 30 साल का समय है और आप पीएफ खाते से एक लाख रुपया निकालते हैं तो आपको 11.55 लाख रुपए के रिटायरमेंट फंड पर काफी बुरा असर पड़ेगा। मौजूदा समय में इसमें 8.5 फीसदी की दर से ब्याज मिलता है। अगर पीएफ अकाउंट होल्डर पीएफ अकाउंट से 3 लाख रुपए निकालता है तो इससे रिटायरमेंट फंड पर करीब 34.67 लाख रुपए का नेगेटिव इंपैक्ट होगा।
सरकार ने ईपीएफ से जुड़े आंकड़े किए थे जारी
– सरकार के एलान के बाद 15 दिनों के अंदर 10.02 लाख क्लेम आए।
– ईपीएफओ की ओर से क्लेम के कुल 3,600.5 करोड़ रुपए जारी किए हैं।
– 17 अप्रैल तक एग्जेम्प्टेड पीएफ ट्रस्ट से 40,826 मेंबर्स ने कुल 481.63 करोड़ रुपए निकालें हैं।
– ईपीएफओ मेंबर्स ने पीएफ अकाउंट औसतन से 28,500 रुपए और एग्जेम्प्टेड पीएफ ट्रस्ट से 1.18 लाख रुपए निकाले हैं।
क्या की थी सरकार ने घोषणा
लॉकडाउन की घोषणा करने के बाद आर्थिक संकट को देखते हुए सरकार ने घोषणा की थी कि कोई भी कर्मचारी कर्मचारी पीएफ अकाउंट से 3 महीने की सैलरी और महंगाई भत्ते के बराबर या कुल बैलेंस का 75 फीसदी निकाल सकते हैं। इनमें से जो ज्यादा रकम होगी, वही रकम पीएफ मेंबर्स को अपने अकाउंट से निकाल सकेंगे।